Patna: जौनपुर वाले शरद शुक्ला कौन हैं..
मिर्जापुर वेब सीरीज को रिलीज हुए काफी दिन हो चुके हैं. जो लोग इसे पहले सीजन से देखते आ रहे हैं वह बहुत अच्छे से जानते होंगे. सीजन 3 में तो शरद शुक्ला पहले एपिसोड से ही छाए रहे, लेकिन आखिरी शो में कालीन भैया से ऐसा इनाम मिला कि अब चौथे सीजन से पत्ता ही साफ हो गया है. जी हां यहां हम बात कर रहे हैं अंजुम शर्मा की. अंजुम शर्मा ने इस शो के जरिए फैंस की नजर में अपनी अलग पहचान बनाई है.लेकिन ये पहचान यूं ही नहीं मिल गयी.
इतने साल के संघर्ष के बाद मिली पहचान
अंजुम शर्मा का जन्म दिल्ली में हुआ और बचपन में ही मुंबई आ गए थे. जब ये छोटे थे तो उन्होंने कहानीकार बनने के बारे में सोचा था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फिल्म मेकिंग का काम किया. इसके बाद Anand L. Roy के साथ एक साल एड फिल्मों में बतौर Assistant Director भी काम किया. करीब आठ साल तक थिएटर करने के बाद उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में करीब 12 साल तक संघर्ष किया तब जाकर कहीं उनको पहचान मिल सकी.
कभी अखबार बिछाकर सोना पड़ता था
एक पॉडकास्ट के दौरान बताया था कि पहले उन्होंने मुन्ना भैया के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. उनको यह रोल पसंद भी था. लेकिन जब उन्होंने दिव्येंदु शर्मा को इस रोल में देखा तो सोचा कि अगर वह सेलेक्ट भी हो जाते तो खुद ही इस रोल को रिजेक्ट कर देते, क्योंकि ये रोल उनके लिए बना ही नहीं था.इसके अलावा उन्होंने अपने संघर्ष पर भी बात की थी. अभिनेता ने बताया था कि कई बार तो ऐसी नौबत आई कि उनको स्टूडियो के बाहर अखबार बिछाकर सोना पड़ा था. उस दौर में वह काम लिए भटक करते थे.
शर्मा जी की पहली फिल्म ने जीते थे आठ ऑस्कर
एक इंटरव्यू के वक्त उन्होंने बताया था कि उन्होंने डायरेक्टर आनंद एल राय के साथ काम किया है. Tanu weds Manu में उन्होंने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया है. अंजुम ने एक्टिंग की शुरुआत फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर से की थी. इस फिल्म ने आठ ऑस्कर अवॉर्ड अपने नाम किए थे.
अपनी पसंदीदा कैमरा खरीदने के लिए की थी फिल्म
शर्मा ने बताया था कि वो थिएटर आर्टिस्ट थे, ऐसे में उनको एकबार लुक टेस्ट के लिए फोन आया था. उन्होंने इसके लिए ऑडिशन भी दिया था, लेकिन उनको मन-मुताबिक रोल नहीं मिला.इसके तीन-चार महीने बाद उनको फिर कॉल आया और वह कॉल था हॉलीवुड डायरेक्टर डैनी बॉयल का. उन्होंने ही स्लमडॉग मिलेनियर डायरेक्ट की थी. अभिनेता ने कहा कि उनको डायरेक्टर के साथ काम करना था, क्योंकि उनको DSLR कैमरे की जरूरत थी. इसके बाद जो पैसे मिले, उससे वह कैमरा खरीद कर लाए और वो उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी.
शिवम प्रेरणा की रिपोर्ट