पटना: मामूली खर्चे में फिल्में या वृत्तचित्र बनाने के लिए अनोखा आइडिया के साथ समर्पित लोगों की टोली की आवश्यकता होती है। भले ही ज़ीरो बजट फिल्में व्यवसायिक रूप से अधिक लाभ नहीं देतीं हैं, फिर भी फिल्म उद्योग में करियर को आगे बढ़ाने में इनका अहम योगदान होता है। उक्त बातें शनिवार को ‘ज़ीरो बजट फिल्म-मेकिंग कार्यशाला’ के दौरान त्रिनेत्र सिनेमैटिक्स के संस्थापक फिल्मकार प्रशांत रंजन ने कहीं। उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध फिल्मकार क्रिस्टोफर नोलन भी इस तरह की फिल्म से अपना करियर शुरू किया था। भारत में डिजिटल युग के आगमन के बाद से ज़ीरो बजट फिल्मों को उचित मंच मिलने लगे हैं। भारत सरकार की संस्था एनएफडीसी द्वारा हर साल ‘फिल्म बाजार’ का आयोजन पणजी में किया जाता है, जहां उभरते फिल्मकारों को उनकी फिल्मों के खरीददार मिल जाते हैं।
पटना के ज्ञान भवन में चल रहे ‘बिहार फोटो-वीडियो एक्पो’ में त्रिनेत्र सिनेमैटिक्स द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान कहानी के आइडिया से लेकर न्यूनतम संसाधनों के साथ फिल्म निर्माण के गुर बताए गए। सिनेमैटोग्राफर पृथ्वी राज ने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले स्मार्टफोन या सामान्य डीएसएलआर कैमरे से भी फीचर फिल्में बन रही हैं। बस इसमें शर्त है कि ध्वनि व दृश्यों की गुणवत्ता बनी रहनी चाहिए। लाइटिंग के बारे प्रशांत रवि ने बताया कि सूर्य की रोशनी में आउटडोर शूट तथा एकल प्रकाश का सूझबूझ से प्रयोग करने पर सिनेमाई प्रभाव वाला प्रकाश संयोजन प्राप्त होता है। इस कार्यशाला में पटना, गया, दरभंगा, आरा, सारण से कई प्रतिभागी शामिल हुए। जनसंचार के विद्यार्थियों की भागीदारी अधिक रही। समापन के बाद प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र के अलावा फिल्म निर्माण के टैलेंट पूल से जुड़ने का अवसर भी प्रदान किया गया। इस अवसर पर बिहार फोटो-वीडियो एक्पो के राकेश तिवारी व मुदस्सिर सिद्दीकी उपस्थित रहे।