बीपीएससी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज और उनकी परेशानियों पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बिहार की सियासत में होड़ मच गई है। रजद, वाम दल समेत महागठबंधन ने जहां बिहार बंद की कौल देकर प्रदेश में चक्का जाम कर दिया, तो कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी और पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार सरकार को आड़े हाथ लिया। लेकिन छात्रों के दर्द पर मचे इस सियासी मकसद साधने की होड़ में सबसे दिलचस्प मुकाबला पप्पू यादव और जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के बीच देखने को मिला। पप्पू यादव ने पीके को लक्ष्य कर कहा कि कुछ माफिया—बहरूपिया ने छात्रों के आंदोलन को बेच दिया। कहता है कि छात्रों के बदले मैं लाठी खाउंगा। लेकिन उसने प्रशासन से मिलकर छात्रों को पीटवाने का काम किया। लाठीचार्ज में घायल छात्रा से मिलने के बाद पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर को बहरूपिया बताते हुए छात्रों से अपील की कि वे ऐसे लोगों को उठाकर फेंक दें।
पप्पू ने बहुरुपिया तो पीके ने फ्रीलांसर नेता बता दिया
पप्पू यादव के इस कथन पर प्रशांत किशोर ने भी उन्हें करारा जवाब दिया। प्रशांत किशोर ने खुद पर पप्पू यादव द्वारा छात्रों को पिटवाने और आंदोलन स्थल से भाग जाने के आरोप पर कहा कि उसका अपना कोई वजूद नहीं है। सेल्फ फ्रीलांसर नेता है जो मीडिया का ध्यान खींचने के लिए कुछ भी बोलता रहता है। ऐसे नेताओं को नोटिस लेने की जरूरत नहीं है। ऐसे लोग कहीं भी कोई ट्रबुल देखते हैं जो उड़कर वहां पहुंच जाते हैं और मीडिया की तवज्जो हासिल करने के लिए कुछ भी बयान देते हैं। इनकी न कोई विचारधार है, न कोई वजूद है। फ्रीलांसर नेता की तरह हर जगह बिना मतलब घुसने की कोशिश करने लगते हैं। प्रशांत किशोर ने इसके बाद खुद पर लगे भाग जाने के आरोपों पर भी जवाब दिया और कहा कि वे वहां से भागे नहीं थे। उन्होंने कहा कि उनके वहां से चले जाने के 45 मिनट बाद लाठीचार्ज हुआ और वाटर कैनन चला। फिर मैं वहां से भाग कैसे।
अभी हमारी परीक्षा, 2025 में हम लेंगे तुम्हारी परीक्षा
लेकिन नेताओं की इस सियासी नूराकुश्ती के बीच छात्रों ने भी अपना अलग लाइन ले लिया है और सभी को साफ चेतावनी दे दी है कि हामरी परीक्षा की समस्या को मौका समझने की भूल मत करना। इस समय हम अपनी परीक्षा के लिए लाठी खा रहे हैं, परंतु अगले साल जब तुमलोगों की चुनावी परीक्षा होगी तब हामलोग तुुम्हें वोट की लाठी मारेंगे। पीएमसीएच में भर्ती घायल छात्रा समेत आंदोलनरत बीपीएससी अभ्यर्थी सरकार और विपक्षी दलों पर भी कितने गरम हैं इसका अंदाजा उनके इसी बात से लगाया जा सकता है जब वे कहते हैं कि—साल 2024 में हमारी परीक्षा है। लेकिन 2025 में इनकी यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमाम राजनीतिक पार्टियों की परीक्षा होगी। आगामी विधानसभा चुनाव में हमलोग इन सभी को अपने दर्द का मतलब समझा देंगे। उनको हार झेलनी पड़ेगी, अगर हम लोगों की बात नहीं सुनी गई। साफ है कि आंदोलनरत बीपीएससी अभ्यर्थियों का ईशारा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तरफ था जिसमें वे अपने साथ हो रही नाइंसाफी का जवाब अपने वोट से देंगे।