सुप्रीम कोर्ट से आज शुक्रवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को तगड़ा झटका लगा। कोर्ट ने लालू के खिलाफ चल रहे लैंड फॉर जॉब घोटाले के ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया, जिसने पहले ही ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। लैंड फॉर जॉब मामले में लालू यादव की आरे से ट्रायल पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दायर की गई थी, लेकिन इसे सुनने से ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ मना कर दिया। साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई तेज करने का निर्देश भी जारी किया। हालांकि लालू के लिए राहत वाली बात यह रही कि उन्हें ट्रायल कोर्ट की सुनवाई में व्यक्तिगत पेशी से छूट मिल गई।
लालू की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि—‘मौजूदा पूछताछ और जांच दोनों की शुरुआत अवैध है क्योंकि दोनों ही पीसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत मंजूरी के बिना शुरू की गई हैं। इस तरह की मंजूरी के बिना की गई कोई भी पूछताछ/जांच शुरू से ही अमान्य होगी।’ सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम रोक नहीं लगाएंगे। हम अपील खारिज कर देंगे और कहेंगे कि मुख्य मामले का फैसला होने दें। हम इस छोटे मामले को क्यों रखें?’ कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब हाई कोर्ट पहले से ही इस मामले पर सुनवाई कर रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
लालू प्रसाद यादव की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए। सुनवाई के दौरान, एएसजी राजू ने तर्क दिया कि इस मामले में धारा 17A के तहत अनुमति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह मामला 2018 में हुए संशोधन से पहले का है। इस पर सिब्बल ने जोरदार पलटवार करते हुए कहा, ‘उनकी उत्सुकता बता रही है। वह 2005 से 2009 तक मंत्री थे। एफआईआर 2021 में दर्ज हुई। बिना अनुमति के जांच शुरू नहीं हो सकती। बाकी सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए उन्होंने अनुमति ली है, सिर्फ इनके लिए नहीं।’ बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह इस स्तर पर मामले की गहराई में नहीं जाएगी।