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देश-विदेश

अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती, पॉकेट वीटो के संदर्भ में उपराष्ट्रपति का बड़ा बयान

Amit Dubey
Last updated: April 17, 2025 4:57 pm
By Amit Dubey 421 Views
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3 Min Read
उपराष्ट्रपति, अदालतें, राष्ट्रपति को आदेश, नहीं दे सकती, पॉकेट वीटो, जगदीप धनखड़
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राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में दिये गए ऐतिहासिक फैसले के कुछ दिनों बाद आज उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है। मालूम हो कि संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो।

Contents
सुपर संसद के रूप में काम नहीं कर सकते जजराष्ट्रपति को निर्देश देना अनुचित : धनखड़
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सुपर संसद के रूप में काम नहीं कर सकते जज

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्वारा विधेयकों पर निर्णय लिये जाने के बारे में समयसीमा निर्धारित करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के हाल के फैसले पर चिंता जताई और कहा कि भारत ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम स्वयं संभालेंगे और एक ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करेंगे। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार यह निर्धारित किया था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचारार्थ सुरक्षित रखे गए विधेयकों पर संदर्भ प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर निर्णय लेना चाहिए।

राष्ट्रपति को निर्देश देना अनुचित : धनखड़

धनखड़ ने कहा कि हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा। यह कोई समीक्षा दायर करने या न करने का सवाल नहीं है। हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र का सौदा नहीं किया था। राष्ट्रपति को समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा जा रहा है और यदि ऐसा नहीं होता है, तो संबंधित विधेयक कानून बन जाता है। उपराष्ट्रपति ने ये बातें राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ऐसे में तो हमारे न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का कार्य स्वयं संभालेंगे और सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे जिनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि भारत में राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है और राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण एवं बचाव की शपथ लेते हैं, जबकि मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसदों और न्यायाधीशों सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं।

TAGGED: अदालतें, उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़, नहीं दे सकती, पॉकेट वीटो, राष्ट्रपति को आदेश
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