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मगही महोत्सव में मातृभाषा और संस्कृति का उत्सव

Swatva
Last updated: April 6, 2025 4:13 pm
By Swatva 372 Views
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7 Min Read
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पटना : बिहार की राजधानी पटना के बापू टावर में शनिवार को मगही महोत्सव का आयोजन संपन्न हुआ। यह एक दिवसीय उत्सव सुबह 9 बजे शुरू हुआ और शाम 7 बजे तक चला। मगही भाषा, साहित्य, संस्कृति, लोक कला, और इतिहास को समर्पित इस महोत्सव में पहुंचे सहकारिता मंत्री श्री प्रेम कुमार ने मगही में बात रखते हुए कहा कि मगही भाषा आठवीं अनुसूची में दर्ज होने की पूरी अहर्ता रखता है। इसे लेकर मैंने प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा है, इस दिशा में सकारात्मक कारवाई भी केंद्र सरकार की ओर से की जा रही है। उन्होंने आयोजकों को इस आयोजन की पहल के लिए बधाई दी। इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाली हस्तियों को सम्मानित किया गया और मगही भाषियों ने अपनी मातृभाषा के प्रति गहरा प्रेम और उत्साह प्रदर्शित किया।

Contents
उद्घाटन समारोह को कुमार रवि ने मगही में दिया संबोधनपहला सत्र: मगही भाषा और साहित्य पर विमर्शदूसरा सत्र: मगध का इतिहास, पुरातत्व और विरासततीसरा सत्र:चौथा सत्र: मगध और सिनेमा
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उद्घाटन समारोह को कुमार रवि ने मगही में दिया संबोधन

उद्घाटन समारोह में अपने संबोधन में कुमार रवि ने मगही भाषा की समृद्धि और इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “मगही एक समृद्ध भाषा है। मगध का नाम विश्व भर में प्रसिद्ध है और यह भाषा हमारी बोलचाल का अभिन्न हिस्सा है।” उन्होंने मगही महोत्सव को एक सराहनीय पहल बताते हुए आयोजकों को बधाई दी और जोर देकर कहा कि मातृभाषा के प्रति लोगों का जुड़ाव बेहद जरूरी है। उन्होंने उपस्थित भीड़ को इस प्रेम का जीवंत प्रमाण बताया।

कुमार रवि ने बापू टावर के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन बापू टावर में हो रहा है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है। यह स्थान महात्मा गांधी के 1917 के चंपारण सत्याग्रह की यादों को संजोए हुए है। यहां बापू के जीवन और उनके योगदान से जुड़ी कई चीजें प्रदर्शित की गई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।”

इस अवसर पर उद्यमी रवि आर कुमार, चिकित्सा क्षेत्र में योगदान देने वाले डॉ. सत्यजीत कुमार, यूरोलॉजिस्ट डॉ. कुमार राजेश रंजन, शिक्षाविद डॉ. नीरज अग्रवाल और उद्यमी राहुल कुमार को नालंदा शील और मगही मगछा सम्मान से नवाजा गया। महोत्सव की शुरुआत गया घराने की ठुमरी गायकी से हुई, जिसमें राजन सीजुआर की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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पहला सत्र: मगही भाषा और साहित्य पर विमर्श

महोत्सव के पहले सत्र का विषय मगही भाषा और साहित्य था, जिसका संचालन संस्कृतिकर्मी निराला बिदेसिया ने किया। मुख्य वक्ताओं में सामाजिक कार्यकर्ता इश्तेयाक अहमद, साहित्यकार धनंजय श्रोत्रिय, प्रोफेसर अतीश परासर और प्रोफेसर शिवनारायण शामिल थे। निराला बिदेसिया ने मगही की समृद्ध विरासत से परिचय कराते हुए सत्र की शुरुआत की। इश्तेयाक अहमद ने कहा, “मगध क्षेत्र के मुसलमानों और हिंदुओं की शब्दावली में समानता है। यहाँ की संस्कृति घुली-मिली है। मुसलमानों की शादी में भी हिंदू रीति-रिवाजों से मिलती-जुलती परंपराएँ दिखती हैं, जैसे मांगटीका, बस सिंदूर की जगह चंदन का प्रयोग होता है।”

धनंजय श्रोत्रिय ने मगही साहित्य के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मगही पर बड़ा कार्यक्रम राजगीर, पावापुरी और बरबीघा में हुआ था। मैंने दिल्ली से ‘मागधी पत्रिका’, झारखंड से ‘झारखंड मागधी’ और बंगाल से ‘स्वागत बंगाल मागधी’ निकाली। मगही में दोस्तोव्स्की और लेर्मोंटोव जैसे लेखकों का अनुवाद हो चुका है। 1950 के बाद से मगही में करीब 200 पीएचडी हुई हैं।”

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प्रोफेसर अतीश परासर ने कहा, “मगही में इतनी विविधता और विस्तार है जो कहीं और नहीं मिलता। अंग्रेजों ने कहा था कि क्रिया बदलने से भाषा बदल जाती है, लेकिन मगही इतनी लचीली है कि क्रिया बदलने पर यह संज्ञा बदल देती है। हमें डिजिटल ऑडियंस नहीं, बल्कि कार्यकर्ता चाहिए।” प्रोफेसर शिवनारायण ने ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कहा, “मगही को हम बुद्ध काल तक ले जाते हैं, लेकिन वैदिक काल से भी पहले व्रात्य सभ्यता थी। अथर्ववेद में मगही शब्दों के कारण इसे लंबे समय तक वेद नहीं माना गया। मगध की मूल चेतना प्रतिरोधी रही है।”

दूसरा सत्र: मगध का इतिहास, पुरातत्व और विरासत

दूसरे सत्र में मगध के इतिहास, पुरातत्व और विरासत पर परिचर्चा हुई, जिसका संचालन रविशंकर उपाध्याय ने किया। इतिहासकार प्रो. आनंद वर्धन ने कहा, “मगध भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति है। यह सूर्य भूमि और वीरता का प्रतीक है। यहाँ पुराणों का संकलन हुआ।”

पुरातत्वविद सुजीत नयन ने कहा, “मगध को जाने बिना भारत को नहीं समझा जा सकता। 2000 में चंडी में हुए उत्खनन से कई तथ्य सामने आए।” कुमार अभिजीत ने मगध की कला और संस्कृति पर जोर देते हुए कहा, “भिखारी ठाकुर ने इस पर काम किया। मगध के इतिहास का अधिकांश हिस्सा अभी जमीन में दबा है। उन्होंने मगही फिल्म पर काम करने की बात कही।”

तीसरा सत्र:

मगध में उद्यमिता का संचालन डॉ. उज्ज्वल कुमार ने किया। उद्यमी रवि आर कुमार ने कहा, “मगध शुरू से समृद्ध रहा है। यहाँ के युवा रोजगार मांगने वाले नहीं, देने वाले बनें।” डॉ. सत्यजीत ने युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा देने की बात कही।

चौथा सत्र: मगध और सिनेमा

चौथे सत्र में अभिनेत्री अस्मिता शर्मा, अभिनेता विकास, अभिनेता बुल्लू कुमार और फिल्म समीक्षक बिनोद अनुपम ने मगही सिनेमा पर चर्चा की। संचालन विजेता चंदेल ने किया। वक्ताओं ने कहा, “जल्द ही मगही में सिनेमा देखने को मिलेगा।” बाकी सत्र में मगध की कला संस्कृति पर अशोक कुमार सिन्हा, विनय कुमार और सुमन कुमार ने बात रखी। मगही कविता पाठ में संजीव मुकेश, चंदन द्विवेदी, प्रेरणा प्रताप और अनमोल कुमारी ने कविता पाठ किया वहीं अंतिम सत्र में चंदन तिवारी, जितेंद्र ब्यास और रोशन कुमारी झूमरी ने मगही लोक गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रभात रंजन शाही की रिपोर्ट

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