सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को EBC (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) कोटे में शामिल तंतवा और तांती जाति को वहां से निकाल कर SC (अनुसूचित जाति) कोटे में शामिल कर देने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। यही नहीं, कोर्ट ने नीतीश सरकार द्वारा 2015 में किये गए इस बदलाव को भी रद कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार या क्षमता ही नहीं है।
नीतीश सरकार की 2015 की अधिसूचना रद
बिहार सरकार ने 2015 में एक अधिसूचना जारी कर अत्यंत पिछड़ा वर्ग कोटे से ‘तांती-तंतवा’ जाति को हटाकर अनुसूचित जातियों की सूची में ‘पान/सावासी’ जाति के साथ मिला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना के खंड-1 के तहत निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में केवल संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा ही संशोधन या परिवर्तन किया जा सकता है। बिहार सरकार द्वारा किया गया बदलाव पूरी तरह असंवैधानिक है।
बिहार सरकार के कदम को असंवैधानिक करार दिया
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 341 के अनुसार न तो केंद्र सरकार और न ही राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित कानून के बिना धारा-एक के तहत जारी अधिसूचना में कोई संशोधन या परिवर्तन कर सकते हैं, जिसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में जातियों को निर्दिष्ट किया गया हो। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बिहार सरकार अच्छी तरह जानती थी कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है और इसलिए उसने 2011 में केंद्र को अपना अनुरोध भी भेजा था। लेकिन उक्त अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया और आगे की टिप्पणियों/औचित्य/समीक्षा के लिए वापस कर दिया गया। इसे अनदेखा करते हुए, राज्य सरकार ने एक जुलाई, 2015 को परिपत्र जारी किया।’ इसलिए बिहार सरकार का एक जुलाई, 2015 का विवादित प्रस्ताव रद्द किया जाता है।