आंध्र प्रदेश के प्रतिष्ठित तिरुपति मंदिर में बीते दिन बैकुंठ द्वार दर्शन के लिए टिकट केंद्र के पास भगदड़ मचने से 6 लोगों की मौत हो गई जबकि 40 लोग घायल हो गए। घायलों को पास के अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। जानकारी के अनुसार भगदड़ दर्शन के लिए टोकन बांटे जाने के दौरान मची। मंदिर में बैकुंठ द्वार सर्वदर्शनम 10 दिनों तक चलने वाला विशेष दर्शन है, जो कल शुक्रवार से शुरू होने जा रहा है। आपको बता दें कि तिरुपति मंदिर में हुआ ये हादसा देश में इकलौता ऐसा हादसा नहीं है। बीते करीब दो दशक में इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। चलिए आज हम आपको सिलसिलेवार बताते हैं कि धार्मिक आयोजन में भगदड़ की ऐसी घटनाएं पहले कब-कब हुई हैं।
हाथरस में सत्संग के दौरान मची थी भगदड़
उत्तर प्रदेश के हाथरस में सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी।इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया गया था। ये भगदड़ जुलाई 2024 में हुई थी। एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर बताया गया था कि किस तरह से भगदड़ हुई, क्या इंतज़ाम थे, किसका क्या रोल रहा, घटना के लिए ज़िम्मेदार कौन है। रिपोर्ट में 128 लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। आगरा की एडीजी अनुपमा कुलश्रेष्ठ और अलीगढ की डिविजनल कमिश्नर चैत्रा वी ने ये रिपोर्ट तैयार की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि हादसे के लिए आयोजक ज़िम्मेदार रहे और स्थानीय प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई। इसमें साज़िश से भी इनकार नहीं किय गया। स्थानीय प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया एसडीएम, सीओ, तहसीलदार समेत 6 निलंबित किये गए थे। एसआईटी ने चश्मदीदों और साक्ष्यों के आधार पर आयोजकों को दोषी माना। आयोजकों ने तथ्य छुपाकर आयोजन की अनुमति ली। एसडीएम ने बिना आयोजन स्थल का मुआयना किए अनुमति दी।आयोजकों ने तय मनकों का पालन नहीं किया।
2023 , 2005 : इंदौर और सतारा में भगदड़ में कई मरे
मध्य प्रदेश के इंदौर में रामनवमी के मौके पर पटेल नगर में स्थित श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर पर बावड़ी के ऊपर की छत धंस गई थी। इस घटना में 35 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। इंदौर संभाग के कमिश्नर पवन शर्मा ने बताया था कि हादसे में 35 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह महाराष्ट्र के सतारा में स्थित मांढर देवी के मंदिर में हर साल जनवरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मांढर देवी की यात्रा पर जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी चढ़ना होता है। इसके लिए 120 सीढ़ियां बनाई गई हैं। इस यात्रा में अचानक मची भगड़ में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।