नवादा : जिला प्रशासन संवेदनहीनता का शिकार हो गया है। तभी तो समाहरणालय के पास यात्री शेड में जिले के हिसुआ थाना क्षेत्र के अरियन गांव के तकरीबन 80 वर्षीय दिव्यांग वरीय नागरिक नबल सिंह 19 मार्च से पुलिस व उसके गुर्गे चौकीदार के कुकृत्यों के खिलाफ लगातार अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर डटे हैं। आमरण अनशन के एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद अब तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या जन प्रतिनिधि को सुध लेने की चिंता नहीं है।
ताज्जुब तो इस बात की है कि ऐसे ज्वलन्त व संवेदनशील मुद्दों पर तथाकथित सुशासन की सरकार,सम्बंधित अधिकारी व जन प्रतिनिधि लगता है कि बिल्कुल संवेदनहीन हो चला है। एक सप्ताह से आमरण अनशन पर बैठे बुजुर्ग की पेट-पीठ सटकर एक हो गया है फिर भी कोई मददगार व बचाबनहार अभी तक सामने नजर नहीं आ रहा है। हालात बेहद नाजुक है। आमरण अनशन पर बैठे दिव्यांग बुजुर्ग नवल सिंह ने बताया की हिसुआ थानाध्यक्ष काफी भ्रष्ट व क्रूर हैं। खुलेआम दारू बेचवा रहे हैं।
शराब बेचने वालों से माहवारी टैक्स बांधकर अरियन गांव के चौकीदार से तहसील व वसूली करवाते हैं। विदित हो कि अरियन गांव के चौकीदार थानाध्यक्ष के ईशारे व सह पर आज गड़थइया नाच नाच रहा है। चौकीदार खुद शराब व गांजा पीता है, पिलाता तथा बेचबाता है। विरोध करने पर थानाध्यक्ष के सह पर 4 बार गालीगलौज और मारपीट कर चुका है। थाना में आवेदन कई बार देने पर रद्दी की टोकरी में फेंक दिया जाता है। कोई एफआईआर दर्ज नहीं करता है।
निरंकुश पुलिस पर अंकुश लगाने और उचित न्याय पाने के उदेश्य से जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, कमिश्नर और मुख्यमंत्री बिहार को आवेदन पत्र रजिस्ट्री के माध्यम से दिया लेंकिन परिणाम ढाक के तीन पात साबित हुआ।समान अबतक कोई करवाई नहीं हुई। अंततः लुटेरा व डाकू हिसुआ थानाध्यक्ष और उसके क्रूर चमचे चौकीदार के जन विरोधी कार्रवाई, खूंखार गतिविधि तथा नापाक इरादे के विरोध में जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
अब तक हम पर करीब एक दर्जन फर्जी मुकदमा कर नाहक परेशान किया जा रहा है। सुनियोजित तरीके से हमारा मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण व दोहन का अंतहीन सिलसिला लगातार जारी है। हमारी हत्या की शाजिस रची जा रही है। अगर ऐसे भ्रष्ट-निरंकुश थानाध्यक्ष पुलिस व चौकीदार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन भी दूर नहीं जब एक पे एक जन विरोधी काले करतूतों का ताता न लगा दे। मामला काफी संगीन ही चुका है।
अनशन पर डटे दिव्यांग बुजुर्ग ने बताया कि 2001 में मुखिया चुनाव लड़ा था। चुनाव जीत चुका था पर मोटी रकम लेकर जीत का प्रमाण पत्र न देकर मुझे हरा दिया गया। उसी समय से हमने संकल्प लेकर कसमें खा ली थी कि मैं जबतक जिंदा रहूंगा,तब तक सच्चे निष्ठा से भ्रष्टाचार ,धोखाधड़ी व लूटपाट के खिलाफ आजीवन लड़ता रहूंगा। उसी का यह जीता जागता ताजा सबूत है कि 80 वर्षों के उम्र के पड़ाव पर भी अन्याय के विरुद्ध और न्याय के लिए संघर्षरत हूँ और आगे भी रहूंगा।
भईया जी की रिपोर्ट