Patna : लोकसभा चुनाव 2024 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चर्चा के केंद्र में हैं। प्रधानमंत्री के रूप में उनके बयान और उनकी स्थिति को चुनावी चर्चा के केद्र में लाकर एनडीए अपने विपक्ष गठबंधन में शामिल दलों को आसानी से कठघरे में खड़ा कर दे रहा है। इंडी गठबंधन में शामिल कांग्रेस व वाम दलों के चीन व पाकिस्तान परस्त कारनामों की यादे ताजी करने के लिए 2006 में प्रधानमंत्री मनमाहेन सिंह द्वारा पद से इस्तीफे की पेशकश की चर्चा जोर पर है।
भारत के संसाधन पर मुसलमानों का पहला हक वाला बयान अभी थमा ही नहीं कि संप्रग सरकार में शामिल दलों और नेताओं की चीन और पाकिस्तान परस्ती का खुलासा होने लगा। इसमें संप्रग सरकार के दौरान परमाणु समझौता को लेकर गहरायी विवाद को सामने लाया गया है। उस विवाद केे कारण डा. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेषकष कर दी थी।
वस्तुतः भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाने के लिए पूर्वी की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने परमाणु कार्यक्रम समझौता का प्रारूप तैयार किया था। मनमोहन सिंह सरकार ने जब अटल सरकार की नीति को आगे बढ़ाते हुए परमाणु समझौता की तैयारी शुरू की तब चीन के इशारे पर सरकार में शामिल वाम दल के नेताओं ने इसका जबरदस्त विरोध षुरू कर दिया था।
वहीं पाकिस्तान के इशारे पर कांग्रेस के अंदर से भी भारी विरोध शुरू हो गया था। संप्रग के विभिन्न दलों और कांग्रेस के अंदर भी भारत के व्यापक हित के विरोध में उठ रहे आवाज से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आहत हो गए। अंततः उन्होंने कह दिया कि भारत विरोधी कार्य करने से बेहतर है कि मैं प्रधानमंत्री पद से ही इस्तीफा दे दूं। प्रधानमंत्री के इस्तीफा पर अड़ने के बाद कांग्रेस और संप्रग में भूचाल आ गया।
इसके बाद भारत विरोध गतिविधियों पर विराम लगा। परमाणु समझौता पर हस्ताक्षर के बाद भी संप्रग सरकार उसके कार्यनवयन को टालती रही। करीब तीन वर्षों के खींचतान के बाद उस समझौते के क्रियान्वयन की पहल शुरू हुई थी। चुनाव के अवसर पर भाजपा संप्रग सरकार के चीन व पाकिस्तान परस्त नीति और आतंकवादियों के प्रति नरमी व भारत को कमजोर करने वाले व्यावहार को जनता के बीच ले जा रही है। प्रधानमंत्री ने स्वयं मनमोहन सिंह के उस बयान के माध्यम से तुष्टिकरण की राजनीति से भारत एवं भारत के दलित व पिछड़ों को होने वाली क्षति का जिक्र कर रहे हैं।
मुसलमानों को लेकर उनके बयान इस चुनाव में इंडी गठबंधन के लिए गले की फांस साबित हो रही है। मनमोहन सिंह को लेकर बहुत सी ऐसी घटनाएं हैं जिससे पर्दा उठाया जा रहा है। पर्दा उठने के साथ इंडी गठबंधन के दलों के लिए नयी-नयी समस्याएं पैदा हो रही है। इंडी गठबंधन के दल आक्रामक की जगह रक्षात्मक मुद्रा में आ जा रहे हैं। परमाणु समझौता को लेकर संप्रग में उठे विवाद के बाद वर्ष 2006 में ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। लेकिन, काफी मशक्कत के बाद स्थिति नियंत्रण में आयी थी। पूर्व की वाजपेयी सरकार की परमाणु नीति को आगे बढ़ाते हुए