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बिहारी समाज

ममता-मोदी चुप, कहां जाएं मुर्शिदाबाद के लोग

Swatva
Last updated: April 13, 2025 5:53 pm
By Swatva 303 Views
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7 Min Read
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पश्चिम बंगाल में भारत का संविधान अपना अर्थ खोने लगा है। वक्फ बिल संशोधन प्रस्ताव पर बहस के दौरान लोकसभा में एक सांसद ने कहा कि बहुमत से पास हो जाने के बाद भी मुसलमान इस काननू को नहीं मानेंगे। लोकतंत्र के लिए अति खतरनाक इस बयान पर भारत के गृहमंत्री तिलमिला उठे थे। उन्होंनेे कड़े शब्दों मंे कहा कि सांसद से पास हो जाने के बाद यह कानून बन जायेगा। इसे कोई कैसे नहीं मानेगा। लेकिन, इस कानून के विरोध में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में पिछले दिनों से जो हिंसक उपद्रव शुरू हुआ है उसने तो बता दिया कि भारत के कानून व संविधान के समक्ष कितना बड़ा खतरा पैदा हो गयाहै।

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यदि विरोध का मुर्शिदाबाद माडल भारत के अन्य भागों में अपनाया गया तो भारत के कुछ कांग्रेसी नेताओं की भविष्यवाणी भी सत्य हो जायेगी। बागलादेश में इस्लामिक आतंकियों और कट्टरपंथियों ने वहां कि लोकतांत्रिक सरकार और उसके तंत्र पर हमला कर दिया था। वहां के अल्पसंख्यकों का कत्लेआम हुआ था। उन पर घृणित अत्याचार हुए जिसे पूरे विश्व ने देखा। पश्चिम बंगाल मुर्शिदाबाद में जब हथियारों से लैस आतंकी भीड़ सड़क पर उतरी तो मुसलिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण बेचारी बनी ममता सरकार की पुलिस कही जा छीपी।

रेलवे के एक कार्यालय को लगभग ध्वस्त ही कर दिया गया है। सरकार और संविधान को रौंदती आतंकी भीड़ ने वह सब कुछ किया जो इस्लामिक देशों में जेहाद के नाम पर होता है। कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समाजवादी जैसी पार्टियां लालू-मुलायम कुनबा या राहुल प्रिंका वाड्रा व उनकी प्राइवेट लिमिटेड पार्टी के करपरताज सभी मौन धारण कर कही एकांत में बैठ गए हैं। छोटी-मोटी झड़पों पर छाती पीटने वाले मानवाधिकार संगठन और उनका इको सिस्टम तो एकदम से चादर तान कर सोया हुआ है। उसे कुछ भी नहीं मालूम।

बात करते हैं भाजपा की तो यह भी रस्मी बयान जारी कर बंगाल को कश्मीर बनने तक चुपचाप बैठी रहना बेहतर समझ रही है। केंद्र की मोदी सरकार तो संविधान और लोकतंत्र की हिमायती है। उसे विदेशों में अपनी छवि की चिंता है, ऐसे में वहां वह राष्ट्रपति शासन लगाने के बारे में कैसे सोच सकती है। हिंदुओं के साथ कुछ ऐसी वैसी बातें हो जाती हैं तो चलेगा। हां, इस शर्मनाक सुनियोजित उपद्रव की सूचना पर कलकत्ता हाईकोर्ट सक्रिय हुआ। शनिवार देर शाम को स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि मुर्शिदाबाद समेत राज्य के अन्य संवेदनशील इलाकों में अर्धसैनिक बल तैनात किए जाएं। अदालत ने स्पष्ट कहा कि वह राज्य में हो रही तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाओं पर आंख मूंदकर नहीं बैठ सकती।

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उच्च न्यायालय के इस कथन का अर्थ यह हुआ कि राज्य और केंद्र की सरकारें आंख मूंदकर बैठी हुई हैं। यदि इतने बड़े स्तर पर उपद्रव होता है तो राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है। लेकिन, चारो और मौन देख अंततः न्यायालय को पहल करनी पड़ी। यह भारत जैसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। न्यायालय के इस कथन के बाद केंद्र की मोदी सरकार की नींद टूटी। राज्य सरकार को भी लगा कि कुछ नहीं किया गया तो पूरे देश के लोग जाग उठेंगे। राज्य सरकार के अनुरोध पर स्थानीय स्तर पर पहले से मौजूद बीएसएफ के लगभग 300 जवानों के अतिरिक्त पांच और कंपनियों को वहां तैनात किया गया।

केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के जवान सड़कों पर गश्ती कर रहे हैं वहीं गली-मुहल्लों में उपद्रवी लोगों को धमका रहे हैं। नतीजतन वहां से हिंदु अपना घर-दुकान छोड़कर पलायन कर रहे हैं। मुर्शिदाबाद में हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। वही मालदा में पलायन कर आने वालों के लिए राज्य सरकार ने राहत शिविर लगा दिया है। जान बचाकर राहत शिविर में आने वाले लोग बता रहे हैं कि उपद्रवी जब हमला करने लगे तब पुलिस कहीं नजर नहीं आई। राजनीतिक खेल में मस्त भाजपा और संसद में गरजने वाले गृहमंत्री अमित शाह की सारी रणनीति बंगाल में धरी की धरी रह गयी। ऐसे में बंगाल के मामले में कहीं देर न हो जाए कि कहावत चरितार्थ होने लगी है।

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पश्चिम बंगाल का बड़ा हिस्सा तेजी से कश्मीर बनता जा रहा है। अब इसका मात्र एक ही उपाय है तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना। इतना से ही काम चलने वाला नहीं। केंद्र सरकार तक जो खुफिया रिपोर्ट पहुंच रहे हैं जिसमें कम से सात जिले ऐसे हैं जहां 1990 के कश्मीर जैसी स्थिति है। ऐसे में बंगाल को तीन भागों में बांटकर कश्मीर जैसा ही वहां दीर्धकालिक उपचार की आवश्यकता है। अशांत हिस्से को केंद्र शासित राज्य बनाना होगा ताकि वहां लंबे समय तक के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो। घुसपैठियों को पूरे राज्य से निकाल बाहर करने की सटीक योजना की आवश्यकता है।

वहां के असाधरण स्थिति से व्यथित माकपा के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि पश्चिम बंगाल के सात जिलों में सामान्य प्रशासन चलाना कठिन हो चुका है। मुसलिम तुष्टिकरण एवं बांगलादेशी घुसपैठियों का विरोध करने वाली ममता बनर्जी आज सत्ता सुख में ऐसी डूब गयी हैं कि उन्हें भारत की एकता और अखंडता पर छाये इस खतरे का भान नही नहीं है। घुसपैठियों के कारण मुसलिम बहुल पश्चिम बंगाल के जिलों से हिंदुओं का पलायन अत्यंत खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। यदि केंद्र अब भी हस्तक्षेप नहीं करेगा तो आने वाले दिनों में वही होगा जैसा नब्बे के दशक में कश्मीर में हुआ था। यह नरेंद्र मोदी की धवल कीर्ति पर न मिटने वाला धब्बा होगा।

TAGGED: bangal mamta, bangal news, mamta banerjee, mamta bangal, modi ji, PM Modi
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