वक्फ बिल संशोधन को जेडीयू के समर्थन के बाद पार्टी के चार प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में जेडीयू के अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव और अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सचिव शामिल हैं। इन नेताओं का कहना है कि यह बिल मुसलमानों के विरोध में है। इस्तीफा देने वाले नेताओं में कासिम अंसारी, शाहनवाज मलिक और तबरेज सिद्दीकी और दिलशाद राईन शामिल हैं। इन नेताओं के इस्तीफे के बाद जेडीयू की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए प्रवक्ता राजीव रंजन ने शुक्रवार को कहा कि तीनों मुस्लिम नेताओं का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है। ये तीनों न पदाधिकारी रहे हैं न पार्टी की गतिविधि में शामिल रहे हैं।
वक्फ बिल पास होने के बाद से अब तक एक-एक कर चार नेताओं ने जदयू से अपना इस्तीफा दे दिया। इनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मो. शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव मो. तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर से पार्टी सदस्य मो. दिलशान राईन और जदयू के पूर्वी चंपारण जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ का प्रवक्ता कासिम अंसारी ने जदयू छोड़ दिया। इन नेताओं ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जदयू के रूख को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि पार्टी ने लाखों मुसलमानों का भरोसा तोड़ दिया है।
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव शाहनवाज मलिक ने अपने इस्तीफे वाली चिट्ठी में सीएम नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए लिखा कि हम जैसे लाखों करोड़ों मुसलमानों का अटूट विश्वास था कि आप सेक्युलर विचारधारा के ध्वजवाहक हैं। लेकिन, अब यकीन टूट गया। वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 पर जदयू के पक्ष से हमलोगों को गहरा आघात लगा है। हमलोग लोकसभा में केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरीय नेता ललन सिंह के तेवर से आहत हैं। उन्होंने जिस तरह का वक्तव्य दिया और इस बिल का समर्थन किया, उससे पार्टी को वोट करने वाले मुसलमान मर्माहत हैं। यह बिल मुसलमानों के विरूद्ध है। हम किसी सूरत में इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यह बिल संविधान के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। अब मुझे अफसोस हो रहा है कि हमलोग अपनी जिंदगी के कई वर्ष इस पार्टी को दे दिया। इसलिए मैं स्वेच्छा से त्याग पत्र दे रहा हूं।