देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बीती रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2022 में उपराष्ट्रपति चुने गए धनखड़ का कार्यकाल 2027 में खत्म हो रहा था। ऐसे में वीवी गिरी और भैरो सिंह शेखावत के बाद वह कार्यकाल पूरा न करने वाले देश के तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने वैसे तो स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही है। लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे सत्तारूढ़ दल से हुए अपमान की बात कही है।
कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि धनखड़ के इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। उन्होंने बताया कि सदन में जेपी नड्डा ने कहा था कि मेरे शब्द रिकॉर्ड में दर्ज होंगे। यह सीधे तौ पर चेयर का अपमान था। कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सदन की कार्यवाही के बीच में करीब 4.30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी BAC की दूसरी मीटिंग हुई थी और इसमें सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि के तौर पर सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन मौजूद रहे। मुरुगन ने सभापति जगदीप धनखड़ से BAC मीटिंग को अगले दिन यानी मंगलवार को रिशेड्यूल करने का आग्रह किया था। जगदीप धनखड़ BAC मीटिंग में राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से नाराज बताए जा रहे थे। बीते दिन दो बार बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग हुई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया था।