केरल के वायनाड में भूस्खलन से हुई भारी तबाही का असर वहां से हजारों किलोमीटर दूर बिहार में भी देखने को मिला है। कुदरत की इस तबाही में वहां अब तक 153 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैंकड़ों लोग अभी भी लापता है। बिहार के वैशाली में भी इस कुदरती हादसे का असर तब दिखने लगा जब पता चला कि यहां के गोरौल और जंदाहा से मजदूरी करने वायनाड गए करीब एक दर्जन लोग लापता हैं। घरवालों ने बताया कि वैशाली के कई लोगों का कोई पता नहीं चल रहा है।
गोरौल और जंदाहा के गांवों से मजदूरी करने गए थे
जानकारी के अनुसार वैशाली के गोरौल प्रखंड स्थित पोझा गांव के कई लोग मजदूरी करने के लिए वायनाड गए थे। लेकिन वहां भूस्खलन के बाद से कई लोगों का पता नहीं चल रहा है। पोझा गांव के दुखन पासवान का पुत्र अरुण पासवान भी उन्हीं लोगों में शामिल था। हालांकि इस हादसे में वह घायल अवस्था में मिला है। जबकि गांव के ही सुरेंद्र पासवान का पुत्र बिजनेशिया पासवान और उपेंद्र पासवान व उसकी पत्नी फूल कुमारी हादसे का शिकार हो गए हैं और उनका कोई पता नहीं चल रहा है।
वायनाड के चाय बागान में करते थे काम
इसी तरह रंजीत पासवान और साधु पासवान भी लापता हैं जो वैशाली जिले के ही जंदाहा के रहने वाले हैं। वैशाली के ये सभी मजदूर एक साथ वायनाड में रह कर मजदूरी करते थे। पोझा गांव के ही धर्मेंद्र राय और राजेश राय को बचाव कर्मियों द्वारा रेस्क्यू कर लिये जाने की खबर आई है। इनके परिजनों ने सूचना मिलने के बाद राहत की सांस ली है। परिजनों ने बताया कि वैशाली से काफी लोग इनकी तरह ही वायनाड के चाय बागानों में काम करने वहां गए हैं।