भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना को लेकर दिए गए बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राहुल गांधी से सवाल किया कि क्या उनके पास इस बयान को साबित करने के लिए कोई ठोस दस्तावेज़ है। सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि अगर आप नेता प्रतिपक्ष हैं तो ऐसी बातें सदन में करें, सोशल मीडिया पर क्यों? कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि आपको यह कैसे पता चला कि 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र चीन के कब्जे में चला गया है? क्या आपके पास ऐसा कहने के लिए कोई कंक्रीट डॉक्यूमेंट है? विश्वसनीय जानकारी क्या है?
जस्टिस दत्ता ने आगे कहा कि एक सच्चा भारतीय कभी ऐसा नहीं कहेगा। जब सीमा पार कोई विवाद हो तो क्या आप ये सब कह सकते हैं? आप संसद में सवाल क्यों नहीं पूछ सकते? सिर्फ़ इसलिए कि आपके पास बोलने की आज़ादी है, तो आप कुछ भी कहीं भी कह सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत देते हुए उनके खिलाफ इस संबंध में चल रहे ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर तीन हफ्ते बाद अगली सुनवाई तय की है। अपनी 2023 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, कांग्रेस नेता राहुल ने दावा किया कि एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें बताया था कि चीन ने 2,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. उनके इस बयान को लेकर सियासी घमासान छिड़ गया था और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था।
यह मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसमें राहुल गांधी ने निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समन रद्द करने से इनकार करते हुए राहुल गांधी को फटकार लगाई थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि बोलने की आज़ादी की भी कुछ सीमाएं होती हैं और सेना का अपमान नहीं किया जा सकता। यह मुकदमा सीमा सड़क संगठन के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव द्वारा दर्ज कराया गया है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों की झड़प का ज़िक्र करते हुए कहा था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की पिटाई की थी।