पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरएलजेपी नेता पशुपति कुमार पारस को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उन्हें अब बिहार सरकार के उस आदेश के खिलाफ स्टे आर्डर मिल गया है जिसके तहत उनकी पार्टी को पटना स्थित सरकारी भवन वाला अपना आफिस नहीं हटाना होगा। कोर्ट ने बिहार सरकार के उस नोटिस पर 13 नवंबर तक रोक लगा दी है जिसमें आरएलजेपी को नोटिस सर्व होने के 7 दिनों के अंदर पार्टी दफ्तर खाली करने का आदेश दिया गया था। भवन निर्माण विभाग ने पार्टी दफ्तर सात दिनों में खाली करने का नोटिस दिया था। इसी के बाद पाशुपति पारस की पार्टी ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
13 नवंबर तक बिहार सरकार के आदेश पर रोक
मालूम हो कि चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस की आरएलजेपी को पटना स्थित पार्टी दफ्तर खाली करने का नोटिस मिला था। भवन निर्माण विभाग ने 22 अक्टूबर के दिन यह नोटिस जारी करते हुए सात दिनों के अंदर दफ्तर खाली करने का आदेश दिया था। विभाग का कहना था कि अगर सात दिनों में दफ्तर खाली नहीं किया गया तो उसे जबरदस्ती खाली कराया जाएगा। यह दफ्तर अब भवन निर्माण विभाग ने लोजपा के दूसरे धड़े चिराग पासवान की लोजपा को अलॉट कर दिया है।
पशुपति पारस ने दायर की थी हाईकोर्ट में याचिका
भवन निर्माण विभाग की इस नोटिस के खिलाफ पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। बीते दिन न्यायाधीश मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान भवन निर्माण विभाग की तरफ से एडवोकेट पीके शाही और आरएलजेपी की ओर से आशीष गिरी और वाई बी गिरी ने अपनी दलीलें रखीं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरएलजेपी को 15 दिनों की मोहलत देते हुए 13 नवंबर तक के लिए बिहार सरकार के आदेश पर स्टे लगा दिया।
कहीं और पार्टी के लिए कार्यालय अलॉट हो तो मंजूर
कोर्ट के इस फैसले से आरएलजेपी नेताओं ने राहत की सांस ली है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि हम न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह कार्यालय नहीं मिलता है तो कोई बात नहीं। अगर राज्य सरकार हमारी पार्टी के लिए कोई और कार्यालय अलॉट कर देती है तो उस पर भी हमें कोई आपत्ति नहीं है।