लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए की जीत के बाद 8 जून को पीएम मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन मोदी 3.0 के फिर सत्ता में आ जाने के बाद भी ये सवाल काफी बेचैन करने वाले हैं कि आखिर मेरठ से अरुण गोविल के जीतने के बाद भी ऐसा क्या हुआ कि भाजपा अयोध्या और उस रीजन की सारी सीटें हार गई। फैजाबाद लोकसभा सीट जिसके तहत ही अयोध्या शहर आता है, वहां राम मंदिर बना। काफी विकास के काम किये गए। लेकिन फिर भी भाजपा से क्या चूक हुई और सपा कहां बाजी मार ले गई?
तमाम विधानसभाई क्षेत्रों में भाजपा को शिकस्त
राम मंदिर निर्माण के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि वह इस बार इस सीट पर बडे़ अंतर से जीत दर्ज करेगी। लेकिन इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के उस समय के मौजूदा सांसद लल्लू सिंह को हरा दिया। बीजेपी को फैजाबाद लोकसभा सीट के तहत आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार पर हार का सामना करना पड़ा है।
राम मंदिर पर भारी पड़ा जातीय समीकरण
माना जा रहा कि फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा राम मंदिर के भरोसे बैठी रही और उसने सामाजिक समीकरणों पर ध्यान नहीं दिया। यही बीजेपी से बड़ी चूक हुई। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने अपनी पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) रणनीति को इस सीट पर मजबूती से साधा। एक रणनीति के तहत ही सपा ने अवधेश प्रसाद को यहां से टिकट दिया। अवधेश प्रसाद अनुसूचित जाति के पासी समुदाय से आते हैं। अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 55 हजार वोट से हरा दिया। लल्लू सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का होना भी एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ।
समाजवादी पार्टी की पीडीए वाली रणनीति
इस चुनाव में बीजेपी ने खासतौर पर फैजादाबाद में राम मंदिर के नाम पर वोट मांगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। बीजेपी ने तो यूपी के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत में राम मंदिर और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। वहीं, समाजवादी पार्टी अपने पीडीए वाली रणनीति के साथ इस सीट पर जनता के बीच गई। साफ है कि जनता ने उसे समर्थन दिया जिसे वह अपने जाति और समुदाय के लिए उपयुक्त समझा। भगवान राम का अयोध्या में मंदिर बनना अच्छी बात रही, लेकिन केवल इसी के सहारे अपनी समस्याएं उन्हें हल होती नहीं दिखी।
तामझाम से खुश नहीं थे स्थानीय लोग
अयोध्या में जिस तरह से विकास कार्य किए गए उसे लेकर भले देश-दुनिया में ये छवि बनी हो कि राम की नगरी में जो आज तक नहीं हुआ वो अब हो रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों से पूछेंगे तो उनका जवाब है कि विकास तो हुआ है, लेकिन इस विकास के लिए उन्हें रोजाना जो कीमत चुकानी पड़ रही है, वह काफी कष्टदायक है। राम मंदिर के बनने के बाद पूरे अयोध्या शहर में जिस तरह से जगह-जगह पर बैरिकेडिंग, पुलिस बंदोबस्त, रूट डायवर्जन और वीआईपी कल्चर पनपा, उससे लोग काफी परेशान थे। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन और विकास प्राधिकरण शहर में संपत्ति लेनदेन को विनियमित कर रहे हैं और आगे के विस्तार के लिए बाहरी इलाके में कृषि भूमि के अधिग्रहण को अधिसूचित कर रहे हैं। इससे लोग काफी परेशान थे।