चुनावी साल में इस समय पोस्टर वॉर के जरिये सियासत चल रही है। राजधानी पटना में आज बुधवार को भी जगह—जगह लगाया गया एक पोस्टर लोगों की कौतुहल का विषय बना। इस पोस्टर के जरिए राजद के शासनकाल में धार्मिक उन्माद से तनाव फैलाने का आरोप लगाते हुए निशाना साधा गया है। राजधानी में सड़कों के किनारे लगे इस पोस्टर में एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर है तो दूसरी तरफ राजद सुप्रीमो लालू यादव की फोटो है। पोस्टर पर इन तस्वीरों के साथ लिखा गया है—एकता की रोशनी, नफरत की हार, शांति और सद्भाव का बिहार। अमन-चैन की चले बयार, जब नीतीश की है सरकार। इसके अलावा इस पोस्टर में नीतीश के शासन और लालू राज के अंतर का भी जिक्र किया गया है।
लालू के खिलाफ किसने लगवाए पोस्टर
पोस्टर में कहीं भी इसे लगवाने वाले के नाम का जिक्र नहीं है। लेकिन समझा जा रहा कि इसे किसी जदयू समर्थक नेता ने ही लगवाया है। इस पोस्टर में राजद शासन के दौरान लालू यादव के काल की कई घटनाओं का जिक्र किया गया है। इसमें लिखा गया है कि सासाराम में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का। अक्टूबर 1992 में सीतामढ़ी दंगा में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का, जिसमें कुल 44 लोगों की मौतें हुई। इसके अलावा पोस्टर में 10 जुलाई 1995 को पलामू और डाल्टनगंज दंगा, धार्मिक उन्माद फैलाया गया, परिणामस्वरूप दंगा भड़का, जिसमें 4 लोगों की मौतें हुईं। इसके बाद 1996 के भागलपुर, अररिया, समस्तीपुर एवं दरभंगा में धार्मिक उन्माद फैलाया गया, जिसके कारण दंगा भड़का था। इसके अलावा भी कई घटनाओं का जिक्र किया गया है।
इस पोस्टर में चार धर्म के लोगों को दर्शाया गया है। जहां नीतीश की तस्वीर के नीचे समाज में समरसता और सौहार्द की बात कही गई है, वहीं लालू के फोटो के नीचे धार्मिक उन्माद और दंगों आदि का जिक्र है। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि किसने पोस्टर लगाया, ये मायने नहीं रखता। मायने ये रखता है कि बिहार की जनता सच जानना चाहती है। दंगा, दहशत और डर का राज, यही था लालू यादव का अंदाज। 12 धार्मिक दंगे और सैकड़ों बेगुनाह मारे गए। इन 12 दंगों में गुनहगारों पर क्या कार्रवाई हुई, तेजस्वी यादव जवाब दीजिए। उनका गुनहगार कौन है।