पटना सदर की पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह को नीतीश कुमार की सरकार ने निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की भी अनुशंसा की गई है। यह अनुशंसा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से की गई है। डीसीएलआर मैडम पर दाखिल-खारिज के मामलों में जानबूझकर देरी करने, पक्षकारों से अवैध लाभ लेने और सरकारी रिकॉर्ड में हेराफेरी करने जैसे गंभीर आरोप हैं। यह भी बताया गया कि तबादले के बाद भी मैत्री सिंह के दलाल आम लोगों से दाखिल-खारिज के काम के लिए पैसे मांग रहे थे और बैकडेट में काम करवाने का दबाव बना रहे थे। जांच में यह भी सामने आया कि मैत्री सिंह के कार्यालय से कंप्यूटर, प्रिंटर और दूसरे जरूरी उपकरण भी गायब हैं। पटना सदर की पूर्व डीसीएलआर मैत्री सिंह इस समय विश्वविद्यालय सेवा आयोग में विशेष कार्य पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार डीसीएलआर मैत्री सिंह जब पटना सदर में पदस्थापित थी तब उन्होंने वहां कई गड़बड़ियां की। उन पर आरोप है कि उन्होंने दाखिल-खारिज, अपील और भूमि विवाद के मामलों में जानबूझकर फैसले नहीं सुनाए। इससे आमलोगों को बेवजह भारी परेशानी से गुजरना पडा जिसकी उन्होंने विभाग से शिकायत की थी। इसके अलावा डीसीएलआर पर लोगों से पैसे ऐंठने के भी आरोप लगे हैं। यही नहीं, उनपर विभागीय पोर्टल के आंकड़ों में हेरफेर का चार्ज लगाया गया है।
यह भी बताया गया कि पटना सदर के डीसीएलआर पद से ट्रांसफर के बाद भी वे विभागीय रिकॉर्ड अपने साथ लेती गईं। आशंका है कि ट्रांसफर के बाद भी उन्होंने पुराने डेट से आदेश जारी करना चालू रखा। बताया जाता है कि ये आरोप इतने गंभीर हैं कि इस आधार पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ ही आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है। पूर्व डीसीएलआर की इन हरकतों की शिकायत मिलने के बाद पटना के डीएम ने जांच के आदेश जारी किये थे जिसमें पता चला कि डीसीएलआर आफिस की 700 से अधिक फाइलें गायब हैं। यह सब जब सामने आ गया तब 255 फाइलें मैत्री सिंह ने वापस कर दीं। मगर अभी भी उनके कार्यालय की 451 फाइलों का कोई सुराग नहीं मिल सका है।