बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। लेकिन बिहार के 6 जिले मतदान से पहले ही भाजपा मुक्त हो गए हैं। ऐसा क्यों हुआ है इसकी सियासी कहानी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल, इस चुनाव में भाजपा ने बिहार के छह जिलों में अपना एक भी प्रत्याशी नहीं उतारा है। इन 6 जिलों की बात करें तो, इनमें 3 जिलों में पहले चरण में और बाकी 3 जिलों में दूसरे चरण में चुनाव होने हैं। हालांकि 5 जिले ऐसे भी हैं जहां की एक-एक सीट पर ही NDA की ओर से भाजपा के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा ने राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 101 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमति कबूल की है। उसके हिस्से आई ये सभी 101 सीटें 32 जिलों में स्थित हैं।
इन जिलों में भाजपा के प्रत्याशी नहीं
जानकारी के अनुसार भाजपा ने मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में अपना एक भी प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। इसके अलावा कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां की सिर्फ एक-एक सीट पर ही भाजपा चुनाव लड़ रही है। उनमें सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर, जमुई और नालंदा शामिल हैं। भाजपा के नेता कहते हैं कि पार्टी ने अपनी सीट संख्या कम रखकर इन जिलों में सहयोगी दलों को आगे रहने का स्थान दिया है। जानकारी के अनुसार, इस बार हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 उम्मीदवार पश्चिम चंपारण जिले में उतारे हैं। जिसमें पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, हरसिद्धि, मधुबन, रक्सौल, ढाका औक चिरैया शामिल हैं। इन जिलों में कुल 12 सीटों में 8 पर भाजपा लड़ रही है।
भाजपा के लिए पूर्वी चंपारण खास
वहीं पूर्वी चंपारण की 9 में से 7 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। अगर सीट की संख्या के लिहाज से देखें तो भाजपा के लिए चंपारण का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। वहीं, दूसरी ओर पटना जिले की 14 में से 7 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी मैदान में हैं। इसके अलावा दरभंगा की 6 सीटें, भोजपुर की 5 सीटें, मुजफ्फरपुर की 5 सीटें और मधुबनी की 5 सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। चुनाव में बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में जदयू-भाजपा 101-101 सीटों पर तो वहीं, लोजपा आर 29 सीटों पर, हम और रालोम के 6-6 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं।