बिहार में पहले चरण की 121 विधानसभा सीटों पर आज से नामांकन शुरू हो गया है। लेकिन अभी तक नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। सबकी नजरें चिराग पासवान और मुकेश सहनी पर हैं। इधर लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने आज शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि एनडीए के अंदर कौन कहां से लड़ेगा, किन सीटों पर लड़ेगा, सभी पर चर्चा की जा रही है और बातचीत सम्मानजनक और सकारात्मक हो रही है। NDA सूत्रों ने खबर दी है कि चिराग अपनी पसंदीदा 5 सीटों वाली शर्त्त से पीछे हट गए हैं। अब वे केवल 2 या 3 सीटों पर अड़े हैं जो उन्हें हर हाल में चाहिए। बताया जाता है कि ये 3 सीटें हैं—गोविंदगंज और जमुई जिले कि चकाई तथा सिकंदरा सीट। कहा जा रहा कि इन 3 सीटों की डिमांड को लेकर चिराग पासवान अडिग हो गए हैं।
सीटों को लेकर खुलकर नहीं बोल रहे चिराग
हालांकि केंद्रीय मंत्री और एलजेपी आर प्रमुख चिराग पासवान सीटों की डिमांड को लेकर मीडिया में खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे। लेकिन लगातार मान—मनौव्वल और मुलाकातों के बाद NDA के अंदरखाने से पता चला है कि चिराग पासवान बिहार की दो—3 विधानसभा सीटों की डिमांड को लेकर अडिग हो गए हैं। चिराग हर हाल में ये सीटें चाहते हैं। जानकारी के अनुसार चकाई और सिकंदरा सीट पर चिराग का तर्क है कि फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर तब की एलजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली थी। उनका मानना है कि इन दोनों सीटों पर एलजेपी (आर) का जनाधार है। इसके अलावा चिराग इन दोनों सीटों से इसलिए भी मोह पाले हुए हैं क्योंकि जमुई लोकसभा सीट से इस वक्त उनके जीजा अरुण भारती सांसद हैं। इससे पहले 2014 और 2019 में खुद चिराग पासवान इस सीट से सांसद रह चुके हैं। इससे पहले चिराग पासवान के पिता की पार्टी से ही सूरजभान सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं।
नीतीश, मांझी और भाजपा को दिक्कत
चकाई विधानसभा सीट पर 2020 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुमित कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी। सुमित कुमार सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं और इस वक्त बिहार सरकार में विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री भी हैं। वहीं जमुई जिले में चिराग की पसंद वाली दूसरी सीट सिकंदरा एक रिजर्व सीट है। फिलहाल सिकंदरा सीट पर जीतन राम मांझी की पार्टी हम के प्रफुल्ल मांझी विधायक हैं। एनडीए खेमे के सामने दिक्कत यह है कि अगर ये दोनों सीटें एलजेपी आर को दी जाती हैं, तब इससे गठबंधन के दो बड़े नेता जीतन राम मांझी और सीएम नीतीश कुमार नाराज हो जाएंगे। सूत्र बताते हैं कि पेच यहीं फंसा है। यहां यह भी बता दें कि सिकंदरा और चकाई दोनों सीटों पर 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के प्रत्याशी का खास प्रदर्शन नहीं रहा था। अकेले लड़ने पर दोनों जगह लोजपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
लो मार्जिन सीटों पर चिराग की नजर
चिराग की पसंद वाली तीसरी सीट की बात करें तो वे भाजपा के सिटिंग विधायक वाली गोविंदगंज सीट को लेकर जिद पर अड़े हैं। बताया जाता है कि इस सीट से चिराग पासवान अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को चुनाव लड़वाना चाह रहे। लेकिन भाजपा किसी भी सूरत में यह सीट छोड़ना नहीं चाह रही। इसके अलावा लो मार्जिन सीटों पर भी BJP और लोक जनशक्ति पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर पेंच फंस रहा है। चिराग लो मार्जिन वाली सीटें अपने लिए मांग रहे, लेकिन एनडीए के बाकी सहयोगी इसपर राजी नहीं हो रहे। ये लो मार्जिन वाली वही सीटें हैं जिन पर 2020 में बहुत कम मार्जिन से एनडीए की जीत हुई थी और चिराग की पार्टी वहां लड़ी थी। इन सीटों में बखरी, साहेबपुर कमाल समेत बेगूसराय की तीन सीटें और खगड़िया की दो सीटें शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक़ एनडीए खेमें में चिराग पासवान और BJP के वरिष्ठ नेताओं के बीच हुई हालिया मुलाक़ातें बेहद सकारात्मक कही जा रही हैं। उम्मीद है कि आज शुक्रवार की शाम तक में सीट शेयरिंग फाइनल हो जाए।