नवादा : जिले में पुलिस का कार्यकलाप संदेह के घेरे में है। हालात यह है कि पीड़ित को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए भी उच्च न्यायालय का सहारा लेना पड़ रहा है। जी हां! यहां हम बात कर रहे हैं पकरीबरावां के निवर्तमान थानाध्यक्ष अजय कुमार का। जिले के कुछ मीडिया कर्मियों की नजरों में वे जिले के सर्वश्रेष्ठ पुलिस पदाधिकारी थे। यहां तक कि उनके स्वयं के अभ्यावेदन पर गया स्थानांतरित किया गया था। आश्चर्य यह कि जब आइजी व डीआईजी से इस बात सूचना के अधिकार के तहत स्थानांतरण की सूचना मांगी गयी तो गोपनीयता का हवाला देकर सूचना देने से इंकार कर दिया था। लेकिन अब स्थानांतरण का सच सामने आ गया है।
अजय कुमार व अन्य के विरुद्ध उच्च न्यायालय के आदेश पर पद का दुरुपयोग कर 30 लाख रूपये की लूटपाट से संबंधित प्राथमिकी संख्या 560/ 24 दिनांक 30/12/24 दर्ज है। आश्चर्य यह कि इस बावत कार्रवाई तो दूर पुलिस पदाधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की प्राथमिकी दर्ज होने से इंकार किया जा रहा है।
मो. एख्लाक खान का आरोप है कि वर्ष 2014 में उन्होंने सीताराम चौधरी की दुकान अग्रिम 1.25 लाख रूपये भुगतान कर किराये पर लिया था। किराये पर लेने के बाद ज्वेलरी की दुकान खोली थी। प्रतिमाह किराये का भुगतान किया करता था। इस बीच मकान मालिक की मांग पर 26 फरवरी 2017 को अग्रिम के रूप में पुनः 50 हजार रुपए भुगतान किया गया। यहां तक कि कोरोना काल में भी दुकान बंद रहने के बावजूद किराये का भुगतान करता रहा।
अचानक कुछ लोगों के दबाव में आकर दुकान खाली करने को लेकर गाली गलौच आरंभ कर दिया गया। सूचना थाने को दी गयी लेकिन किसी प्रकार की नोटिस नहीं ली। अचानक 2/ 10/ 2024 की सुबह करीब 10 बजे निवर्तमान थानाध्यक्ष अजय कुमार व सीताराम चौधरी व अन्य पुलिसकर्मी दुकान पर पहुंचे तथा लगभग 30 लाख रूपये का नकदी व जेवरात बलपूर्वक लेकर चलते बने। तत्काल सूचना थाना समेत वरीय पदाधिकारियों को दी गयी लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया। विवश होकर उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी 17710/24 दायर किया।
मामले में 25/11/24 को न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निर्गत किया। चूंकि थाना जाने पर जान का खतरा था इसलिए आदेश के आलोक में रजिस्ट्री के माध्यम से भेजे गए आवेदन के आलोक में 30/12/24 को दर्ज प्राथमिकी के बावजूद अबतक किसी प्रकार की कार्रवाई आरंभ नहीं की गयी है। और तो और पुलिस के वरीय पदाधिकारी ऐसी किसी प्राथमिकी दर्ज होने की सूचना से इंकार कर रहे हैं। जाहिर है एकबार फिर पुलिस पदाधिकारियों द्वारा अजय कुमार को बचाने का प्रयास किया जा रहा है तभी तो ग़लतबयानी की जा रही है। पुलिस पदाधिकारियों को इसका भी ज्ञान नहीं है कि निगरानी उच्च न्यायालय कर रही है। उपरोक्त मामले में बच पाना आसान नहीं होगा।
भईया जी की रिपोर्ट