नवादा : सदर अस्पताल में डॉक्टरों की ट्रांसफर, पोस्टिंग मामले, एचबी ए 1सी किट की खरीदारी और सिक्योरिटी गार्ड की सैलरी मामले में सिविल सर्जन डॉ नीता अग्रवाल की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। एक सप्ताह के भीतर दो बार जांच टीम ने निरीक्षण कर पूछताछ की। गौरतलब है कि सिविल सर्जन डॉ नीता अग्रवाल पर लगाये गये प्रतिमुक्ति और स्थानांतरण के आरोप की जांच को लेकर तीन सदस्यीय टीम दूसरी बार जांच के लिए सदर अस्पताल पहुंची थी। लगातार एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार जांच एवं पूछताछ के लिए सोमवार को जांच टीम अस्पताल पहुंची।
जांच टीम ने दोबारा सदर अस्पताल के कई विभागों का निरीक्षण कर फाइलों की जांच की। मौके पर देखा गया कि सिविल सर्जन ऑफिस के बाहर डॉक्टरों की गाड़ियों का जमावड़ा देखा गया वहीं अस्पताल में स्थानांतरण पोस्टिंग के मामले में चर्चा का बाजार गर्म था।
एचबी ए 1सी किट खरीदारी पर की पूछताछ
विभागीय जानकारी के अनुसार ओएसडी हेल्थ के आनंद प्रकाश, स्वास्थ्य विभाग उप सचिव दिनेश झा और स्वास्थ्य विभाग के वित्तीय सलाहकार गौतम कुमार जांच टीम में शामिल थे। जिला स्वास्थ्य समिति से जानकारी के अनुसार एचबी ए 1सी किट की खरीदारी को सिविल सर्जन डॉ नीता अग्रवाल के द्वारा निरस्त कर दिया गया था, दूसरी ओर गार्ड को समय पर सैलरी नहीं मिलने के मुद्दे को लेकर जांच टीम सभी दस्ताबेज खंगाल रही थी।
सदर अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड की सैलरी को लेकर हुई जांच
विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में सदर अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड की सेवा दे रही कंपनी एलिट का टेंडर खत्म होकर नई कंपनी को टेंडर दे दिया गया था। वैसे इलाइट कंपनी हमेशा विवादों में रही है। प्रत्येक सिक्योरिटी गार्ड को कंपनी के अनुसार 14500 की सैलरी दी जाती है, लेकिन जितनी भी सिक्योरिटी गार्ड सदर अस्पताल में काम करते हैं उन्हें मात्र 5000 से लेकर 6000 तक की सैलरी कैश दिया जाता है। सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले सभी लोगों का कहना है कि पिछले 11 महीना से वेतन का भुगतान नहीं हुआ था जिसमें 7 महीने का वेतन फरवरी माह में दिया गया। कभी भी सिक्योरिटी गार्ड्स को पूरी वेतन पूरे महीने में नहीं मिलता है।
सदर अस्पताल के द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के अनुसार तीन शिफ्ट में कुल 76 सिक्योरिटी गार्ड काम करते हैं। आए दिन सिक्योरिटी गार्ड सैलरी को लेकर अपने आला अधिकारियों को कंप्लेंट करते रहते हैं। लेकिन इस पर ना तो सदर अस्पताल प्रशासन की नजर जाती है और ना ही कंपनी के अधिकारियों की। जांच टीम के सदस्य जहां प्रेस से बचते दिखे वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन भी इन सभी मुद्दों को लेकर सीरियस दिखा।
भईया जी की रिपोर्ट