– हाल पकरीबरावां थानाध्यक्ष अजय का
नवादा : कहते हैं सत्ता का दुरुपयोग करने वाले का हाल बुरा होता है। कभी अकबरपुर से पकरीबरावां थानाध्यक्ष के रूप में स्थानांतरित होकर माफियाओं के कंधों पर विदा लेने अजय कुमार पकरीबरावां से मुंह छुपाकर भागना पड़ेगा ऐसा सोचा तक नहीं था। लेकिन हुआ ऐसा ही। लाइन हाजिर होते ही रामराज्य की माफियाओं से विभूषित थानेदार से वैसे लोगों ने भी मुंह मोड़ लिया। अकबरपुर में हरे वृक्षों की कटाई, वरीय पत्रकार को जलील करने के मामले में अधिकारियों द्वारा बचाव के बाद उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा हाल होगा?
पकरीबरावां में योगदान के बाद साइबर अपराधियों से ऐसा सांठगांठ किया कि वारिसलीगंज के बाद साइबर अपराधियों का जाल बिछ गया। वैसे साइबर थाना द्वारा इनके कार्यकाल में कुल 53 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। माफियाओं व अधिकारियों की नजर में रामराज्य लाने वाले थानाध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव के पूर्व पहले बूथ से एसएलआर गायब कराया फिर बरामद किया। लेकिन आजतक रायफल चोरी मामले का पर्दाफाश नहीं किया। और तो और उल्टे खबर चलाने पर पत्रकार पर प्राथमिकी दर्ज कर दी।
पीडीएस विक्रेता के विरुद्ध खबर चलाने पर पत्रकार के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर बगैर जांच गिरफ्तार कर लिया। उक्त मामले में न्यायालय से फटकार लगने के बावजूद सत्ता के मद में चूर मुखिया प्रतिनिधि पर प्राथमिकी दर्ज कर दिया। यह सब रामराज्य का ज्वलंत उदाहरण है। पकरीबरावां क्लिनिक कांड में पीड़ित के बयान पर प्राथमिकी दर्ज न कर ऐसे कुकृत्य करने वालों को खुलकर साथ देने के पूर्व तनिक भी नहीं सोचा कि यह अकबरपुर नहीं पकरीबरावां है। अब जब वहां से स्थानांतरित तो मुंह छुपाकर भागना पड़ा। आखिर कहा गया है:- रोपा पेड़ बबूल का तो आम कहां से होगा?
भईया जी की रिपोर्ट