मुजफ्फरपुर में राम जानकी मठ की जमीन पर मुस्लिम परिवार द्वारा कब्जा करने का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने इस अतिक्रमण का विरोध किया है। इस मुद्दे पर स्थानीय नेताओं और ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गई जिसके बाद विभिन्न जांच एजेंसियों को पत्र भेजे गए और बेदखली के लिए एसडीएम पूर्वी के पास शिकायत दाखिल कराई गई। जानकारी के अनुसार एसडीएम ने शिकायत पत्र मिलने के बाद सकरा के सर्किल ऑफिसर को जांच के निर्देश दिए हैं। एसडीएम ने कहा है कि जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
मुजफ्फरपुर के सकरा में है राम जानकी मठ
मामला मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड अंतर्गत जगदीशपुर बघनगरी गांव स्थित राम जानकी मठ की जमीन पर अवैध कब्जे का है। मठ की जमीन पर एक मुस्लिम परिवार के बसने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया और इसके लिए ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं। मठ की जमीन पर मुस्लिम परिवार की ओर से कब्जा करने का ग्रामीणों ने विरोध किया और मामला गांव की पंचायत में उठाया गया। इसके बाद मठ की जमीन पर बसे मुस्लिम परिवार को लेकर मुखिया सरपंच सहित गांव के संत और ग्रामीणों के बीच एक बैठक बुलाई गई। इसी बैठक के बाद गांव वालों ने कई जांच एजेंसियों को पत्र भेजने के साथ ही
जहीर खान ने बना लिया पक्का निर्माण
बताया जाता है कि गांव में राम जानकी मठ की जमीन के एक कोने पर नट जाति से आने वाले मुस्लिम परिवार ने कब्जा कर लिया है। इस मुस्लिम परिवार ने उस कब्जाई गई मठ की जमीन पर अपना पक्का मकान भी बना लिया है। गांव वालों का आरोप है कि इस मुस्लिम परिवार के लोग और इनका मुखिया जहीर खान इस राम—जानकी मठ के अंदर भी आते—जाते हैं जो सनातन धर्म के खिलाफ है। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि इस मुस्लिम परिवार ने मठ के महंत श्याम सुंदर दास के इशारों पर ही मठ की जमीन पर गैरकानूनी कब्जा किया है।
क्या कहना है पंचायत के मुखिया का
पंचायत के मुखिया राजेश कुमार का दावा है कि ज़हीर खान के परिवार को महंत श्याम सुंदर दास के कहने पर मठ की ज़मीन पर बसाया गया। जबकि जहीर खान का अपने गांव कुतुबपुर में काफी संपत्ति थी। उनका आरोप है कि महंत और अधिकारियों की मिलीभगत से यह बसावट हुई। सरपंच राकेश कुमार मिश्रा कहते हैं कि जो लोग आपत्ति जताते हैं, उन्हें महंत के निर्देश पर कानूनी झमेलों का सामना करना पड़ता है। जहीर खान कथित तौर पर मठ की संपत्ति का इस्तेमाल करता है और भगवा वस्त्र पहनकर मठ में प्रवेश भी करता है। इन हरकतों के बारे में लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है।
क्या है मठ को लेकर विवाद का संदर्भ
महंत श्याम सुंदर दास का दावा है कि ज़हीर खान का घर उनके मठ में आने से पहले से ही मौजूद था। 2022 में लोगों ने इस मामले को लेकर ट्रस्ट बोर्ड में आवेदन किया। उन्होंने ट्रस्ट कमेटी को पत्र लिखकर बताया कि ज़हीर खान 1950 से ही बसे हुए हैं, जबकि वे 1989 में आए थे। लेटरहेड पर बेदखली का आदेश जारी करने के बावजूद, ज़हीर खान का ज़मीन के दस्तावेज़ों में अलग रिकॉर्ड मामले को जटिल बनाता है। मामला सुनवाई के लिए नई कमेटी के पास है। एसडीएम ने मठ की जमीन पर जहीर खान से संबंधित आवेदन मिलने की पुष्टि की है और मामले की जांच के आदेश दिए हैं।