बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री और जदयू नेता अशोक चौधरी अब कॉलेज में क्लास लेते नजर आएंगे। नीतीश कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री अशोक कुमार चौधरी राजनीतिक विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में चुने गए हैं। बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 274 चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी की है। अशोक कुमार चौधरी उन चयनित उम्मीदवारों में से एक हैं। अशोक चौधरी ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2020 में पॉलिटिकल साइंस विषय में सफलता हासिल की है। 58 वर्षीय चौधरी ने साक्षात्कार के बाद एससी कैटेगरी में यह उपलब्धि प्राप्त की, जिसके बाद आयोग ने हाल ही में परिणाम जारी किया।
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 2020 में 52 विषयों में 4,638 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए भर्ती निकाली थी। इसमें पॉलिटिकल साइंस के 280 पद शामिल थे। इस प्रक्रिया में हजारों अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया, लेकिन साक्षात्कार और परिणाम की देरी के कारण यह भर्ती लंबे समय तक चर्चा में रही। मालूम हो कि अशोक चौधरी पहले बिहार के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। यह चयन शैक्षणिक प्रदर्शन, शिक्षण अनुभव, प्रकाशित कार्यों और साक्षात्कार के आधार पर किया गया और चौधरी ने अनुसूचित जाति श्रेणी में सफलता प्राप्त की है। 1 जनवरी 2020 तक सभी श्रेणियों के लिए अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष निर्धारित थी और उस समय अशोक चौधरी भी उम्र के लिहाज से पात्रता रखते थे।
अशोक चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1968 को शेखपुरा जिले के बरबीघा में हुआ था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और 2000 में बरबीघा से विधायक बने। 2013 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे लेकिन 2018 में जदयू में शामिल हो गए। वर्तमान में वह नीतीश कुमार सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं। अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से समस्तीपुर की सांसद हैं। शांभवी चौधरी ने अपने पिता के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन की पुष्टि की है। कॉलेजों का आवंटन बाद में किया जाएगा। हालांकि अशोक चौधरी ने कहा है कि वे असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर ज्वाइनिंग के बाद राजनीति के लिए लंबा अवकाश ले लेंगे।