महाराजगंज के चुनावी चौसर में इसबार का चुनाव काफी माथपच्ची वाला दिमागी गेम बन गया है। अगर जातीय समीकरण के आइने में इसे तौलें तो यहां सबसे ज्यादा राजपूत, उसके बाद भूमिहार मतदाता हैंं। इसके बाद नंबर आता है ब्राह्मणों और यादवों का। यही कारण है कि जहां एनडीए ने 2024 चुनाव में एकबार फिर जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को उतारा तो इंडि अलायंस ने लालू की रणनिति के तहत भाजपा के ही कोर वोट में सेंध लगाने के लिए इस बार कांग्रेस टिकट पर भूमिहार आकाश सिंह को टिकट दिया।
कोर वोटबैंक साधने और बिखरने की छिड़ी जंग
स्पष्ट है कि महाराजगंज की लड़ाई इस बार कोर वोट बैंक के ‘इंटैक्ट रहने’ और इसके टूटने की आकांक्षाओं के बीच लड़ी जा रही। महाराजगंज में आमतौर पर राजपूत उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित मानी जाती है। कभी यहां से चंद्रशेखर, रामबहादुर सिंह और प्रभुनाथ सिंह ने चुनावी दंगल जीता था। 2014 और 2019 में भाजपा के जनार्दन सिग्रीवाल लगातार जीतते आये हैं। इस बार भी वे मैदान में हैं और उनकी सीधी टक्कर कांग्रेस के आकाश सिंह से है जो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के पुत्र हैं।
जातीय समीकरण में महाराजगंज की विधानसभा सीटें
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं। इन छह में से गोरियाकोठी और तरैया में भाजपा विधायक तो एकमा और बनियापुर में आरजेडी के विधायक हैं। जबकि बाकी दो विधानसभा सीटों—महाराजगंज और मांझी में क्रमश: कांग्रेस और सीपीएम का कब्जा है। अब यहां के जतीय फैक्टर पर नजर डालें तो यहां राजपूतों की आबादी 4 लाख 38 हजार, भूमिहार 4 लाख, पौने 3 लाख ब्राह्मण और करीब ढाई लाख यादव मतदाता हैं। कुर्मी-कोइरी, एससी-एसटी और वैश्य को अगर इकट्ठा कर दें तो इनके मतदाताओं की संख्या भी 4 लाख के करीब है जबकि मुस्लिम करीब पौने दो लाख हैं।
भाजपा और कांग्रेस की शह-मात वाली रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव में अगर एनडीए और इंडि अलायंस की रणनीति पर नजर डालें तो यहां भाजपा को अपने कोर वोटबैंक का भरोसा है। पार्टी ने इसके लिए एड़ी—चोटी का जोर लगा रखा है कि उसके कोर वोटर चुनाव के दिन घरों से निकलें, उदासीन न रहें। इसके लिए एनडीए नेता और कार्यकर्ता गांव—गांव, घर—घर जाकर जमके पसीना बहा रहे। दूसरी तरफ इंडि अलायंस ने यहां खास रणनीति के तहत भाजपा के कोर वोट को ही निशाना बनाने के लिए भूमिहार आकाश सिंह को मैदान में उतारा है। उनका मानना है कि अगर एमवाई के साथ भूमिहार वोट उन्हें मिल जाता है तो वे भाजपा को यहां धूल चटा देंगे।
पीएम की चुनावी रैली का जबर्दस्त असर
दूसरी तरफ भाजपा ने जो थोड़ी बहुत स्थानीय नेताओं की नाराजगी वाली थ्योरी थी, पीएम मोदी की रैली के जरिये उसकी अच्छी भरपाई कर ली है। भाजपा लगातार अपने कोर वोटर राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार और वैश्य मतदाता के अलावा कुर्मी कोयरी और अतिपिछड़ा के साथ दलितों के बीच सघन जनसंपर्क अभियान चला रही है। देखना है कि 25 मई को महाराजगंज लोकसभा सीट पर वोटर किसकी रणनीति को कामयाब बनाता है।