बिहार में इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव सिर पर है। इसे लेकर राज्य का सियासी पारा भी गरमाता जा रहा है। इसी गरमाए हुए सियासी पारे को आज मंगलवार को तब और तपिश मिली जब राज्यसभा सांसद और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा एक अणे मार्ग पहुंचे और वहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश के पुराने करीबी सहयोगी रहे हैं। उनके इस तरह अचानक मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद पटना के राजनीतिक गलियारे में हलचल बढ़ गई।
मुलाकात के दौरान आरएलएम नेता माधव आनंद भी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की रणनीति को लेकर खास बातचीत की बात कही जा रही है। यह भी माना जा रहा कि गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कुशवाहा मुख्यमंत्री का मन टटोलने के उनसे मिलने पहुंचे थे। अब तक बिहार की राजनीति में खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का छोटा भाई बताते रहे उपेंद्र कुशवाहा लगातार सीट बंटवारे में घटकदलों की मौजूदा ताकत को आधार बनाने की बात कह रहे हैं। उनका स्टैंड है कि मौजूदा ताकत के आधार पर अगर सीट बंटवारा नहीं किया गया तो इससे एनडीए को नुकसान हो सकता है।
मालूम हो कि मौजूदा विधानसभा में कुशवाहा की पार्टी आरएलएम का एक भी विधायक नहीं है। ऐसे में उन्हें डर सता रहा कि सीट बंटवारे में उन्हें उम्मीद के मुताबिक जगह नहीं मिल पाएगी। ऐसे में वे अभी से अपनी दवेदारी मजबूत करने की कोशिश में लग गए हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा और जदयू के अलावा चिराग पासवान की एलजेपी (आर) और जीतन राम मांझी की हम भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी ठोक रही है। ऐसे में कुशवाहा को अपनी पार्टी पर ही कम सीटों पर लड़ने की मजबूरी वाला डर सता रहा है। हालांकि भाजपा और जदयू दोनों लगातार कह रहे कि एनडीए में सीट बंटवारा कोई मुद्दा नहीं है और इसे काफी सहजता से कर लिया जाएगा।