काराकाट में ओवैसी फैक्टर ने यहां के चुनाव में माइनस NDA सभी पार्टियों और निर्दलीयों को भारी टेंशन में ला दिया है। AIMIM चीफ ओवैसी ने हाल में यहां चुनावी दौरा किया जिसमें अल्पसंख्यकों के साथ बड़ी संख्या में अतिपिछडा समाज के लोगों का जुटान हुआ। इस जुटान के बाद जो हवा फैली उसने यहां के चुनाव को त्रिकोणीय से चतुष्कोणीय बना दिया है। इससे जो टेंशन पवन सिंह एनडीए के लिए पैदा कर रहे थे, अब वही टेंशन इंडिया अलायंस के राजाराम कुशवाहा को मिल गया है। एआईएमआई उम्मीदवार प्रियंका चौधरी के पक्ष में अतिपिछड़ों और मुस्लिम समुदाय के गोलबंद होने की खबरों ने इंडिया के एमवाई में सेंधमारी का डर पैदा कर दिया है।
प्रियंका चौधरी की इंट्री ने चतुष्कोणी कर दिया मुकाबला
समय के साथ बार—बार रंग बदलते काराकाट के समीकरण ने इसे बिहार में 2024 चुनाव का सबसे दिलचस्प मुकाबला बना दिया है। शुरु में काराकाट का चुनाव उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम कुशवाहा के बीच था। बाद में भोजपुरी गायक और सिने अभिनेता पवन सिंह की इंट्री ने इसे त्रिकोणीय बना डाला और एनडीए कैंडिडेट उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें बढ़ गईं। लेकिन हाल में प्रधानमंत्री मोदी की रैली और असदुद्दीन ओवैसी की मुहिम ने इंडिया अलायंस के कैंडिडेट राजाराम के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। एआईएमआई प्रत्याशी प्रियंका चौधरी युवा हैं और वे लगातार जनसंपर्क मुहिम कर रही हैं। उनको रिस्पांस भी अच्छा मिल रहा है। इससे यहां लड़ाई अब चतुष्कोणीय हो गई है।
जातीय समीकरण में काराकाट
काराकाट में कुल 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता हैं। अगर जाति के गणित से इसे समझें तो यहां यादव तथा कुशवाहा जातीयों का बाहुल्य है। यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं। वहीं कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं। तीसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब दो लाख है। इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं। मुस्लिम वोटर की यहां अच्छी खासी संख्या है और अति पिछड़ो में मल्लाह जाति के 1.5 लाख वोटों को अगर इनके साथ जोेड़ दें तो यहीं औवैसी की कैंडिडेट प्रियंका चौधरी इंडिया अलायंस के लिए खतरा बन रही हैं।
क्यों अहम हो गईं हैं प्रियंका चौधरी
प्रियंका चौधरी युवा हैं और वे कई वर्षों से सामाजिक—राजनीतिक रूप से क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। अभी प्रियंका नासरीगंज पश्चिम की जिला पार्षद हैं। वे मल्लाह जाति की हैं और निषाद समाज में उनकी काफी मजबूत पकड़ है। काराकाट लोकसभा क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या करीब 1.5 लाख है। ओवैसी के आने के बाद प्रियंका चौधरी को मुस्लिम वोटर कितने पसंद करते हैं, यही चुनाव में बड़ा फैक्टर बनने जा रहा है। काराकाट में मुस्लिम वोट लगभग 2.5 लाख हैं। साफ है कि प्रियंका चौधरी इंडिया अलायंस को पवन सिंह से भी बड़ी टेंशन दे रही हैं। साफ है कि काराकाट में औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की प्रियंका चौधरी के पक्ष में मुस्लिम मतों की जितनी गोलबंदी होगी, वो उपेंद्र कुशवाहा के लिए उतनी ही राहत देगी।
6 विधानसभा सीटों में बंटा काराकाट
काराकाट लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती हैं। इनमें नोखा, डेहरी और काराकाट विधानसभा सीटं रोहतास जिले में हैं। वहीं गोह, ओबरा और नबीनगर विधानसभा सीटें औरंगाबाद जिले में हैं। सबसे अहम बात कि सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 87 हजार 378 है और महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 85 हजार 31 है।
काराकाट का चुनावी प्रदर्शन
2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा जाति का किला कहा जा सकता है, क्योंकि इस सीट पर 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के ही प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। तीनों बार जीत NDA कैंडिडेट के ही हिस्से में आई। मतलब कुशवाहा जाति के साथ-साथ काराकाट NDA का भी मजबूत गढ़ है। NDA के टिकट पर 2009 और 2019 में महाबली सांसद रहे तो 2014 में उपेंद्र कुशवाहा ने इस सीट से जीत दर्ज की थी।