संसद के दोनों सदनों में वक्फ बिल तो पारित हो गया, लेकिन इसको लेकर जदयू में जो बवाल मचा हुआ है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा। इसको लेकर जेडीयू के अल्पसंख्यक नेताओं में नाराजगी है। जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने इस बिल को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने राष्ट्रपति से इसे वापस भेजने की मांग की है। गुलाम गौस ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ बिल की आड़ में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। जेडीयू नेता ने कहा, “मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है। फैसला हमें क्या देगा। हमें उनसे हैं वफा की उम्मीद, जो जानते नहीं वफा क्या है”। साफ तौर पर गुलाम गौस मुख्यमंत्री नीतीश से वक्फ के मसले पर बेहद नाराज हैं। लेकिन उन्होंने यह भी क्लियर कर दिया कि फिलहाल वे जदयू नहीं छोड़ेंगे।
जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए राष्ट्रपति से इसे वापस भेजने की मांग की। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि इस अलोकतांत्रिक बिल को वापस भेज दें। उन्होंने कहा कि जैसे देश में कृषि कानून वापस लिया गया, वैसे ही वक्फ बिल भी वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मुस्लिम समाज को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर न करने की चेतावनी भी दी। जदयू एमएलसी ने उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कहा कि अगर उन्हें मुसलमानों से इतनी ही हमदर्दी है तो सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमीशन की सिफारिशों को लागू करें। इन कमेटियों ने मुस्लिम समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई सुझाव दिए थे।
हालांकि वक्फ के प्रश्न पर अपनी पार्टी और सरकार के मुखिया नीतीश कुमार से नाराजगी के बावजूद एमएलसी गुलाम गौस ने यह भी कहा कि वे अपनी पार्टी नहीं छोड़ेंगे। जदयू के 4 अल्पसंख्यक नेताओं के पार्टी छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कौन इस्तीफा दे रहा है उस पर पार्टी क्या कह रही है, इससे हमको मतलब नहीं है। गुलाम गौस ने कहा कि हमारी पार्टी के सांसदों ने संसद में वक्फ बिल का समर्थन किया है। वह उनकी इच्छा है। मेरी अपनी राय है। मेरी गर्दन पर छुरी चल रही है तो मैं ही न बोलूंगा। किसान आंदोलन में 700 लोग मारे गए। खुद के लिए देश को अब दोबारा आंदोलन की भट्टी में मत डालिए। मुस्लिम समाज को सड़क पर उतरने से बचाने का काम प्रधानमंत्री मोदी करें। कई राज्यों में वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग हुआ जहां बीजेपी की सरकारें हैं। क्यों नहीं बीजेपी ने रोक लिया?