भारत द्वारा आपरेशन सिंदूर और फिर पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद देश दुनिया में एक चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा एयरबेस के क़रीब किराना हिल्स यानी किनारा की पहाड़ियों पर कुछ ऐसा हो रहा है जो ख़तरनाक हो सकता है। कहा जा रहा कि भारत के एयरस्ट्राइक में तबाह हुआ सरगोधा एयरबेस से कुछ ही दूरी पर स्थित किराना की पाहाड़ियों पर भी हमले हुए थे। इसी के बाद पाकिस्तान में एक के बाद एक छोटे—बड़े 3 भूकंप आये हैं। इनकी तीव्रता 4 से लेकर 5.1 तक रही। इधर भारत ने उन तमाम रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में संवेदनशील परमाणु स्थलों पर बमबारी की गई थी। लेकिन सोशल मीडिया पर कई एक्सपर्ट्स बार बार दावे कर रहे हैं कि किराना हिल्स को निशाना बनाया गया है, जहां पाकिस्तान ने अपने कुछ परमाणु वारहेड्स रखे थे या फिर जहां पाकिस्तान का न्यूक्लियर ठिकाना है।
ये अफवाहें तब शुरू हुईं जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत कई पाकिस्तानी एयरबेसों पर सटीक हवाई हमले किए। इनमें सरगोधा और नूर खान एयरबेस भी शामिल थे। ये दो महत्वपूर्ण स्थल परमाणु-संबंधित बुनियादी ढांचे के बहुत करीब हैं। आग में घी तब पड़ा जब फ्लाइटरडार 24 जैसे फ्लाइट ट्रैकर्स ने कथित तौर पर पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में एक अमेरिकी बीचक्राफ्ट बी350 एरियल मेजरिंग सिस्टम (AMS) एयरक्राफ्ट को देखने की रिपोर्ट दी। अमेरिका का ये विमान किसी क्षेत्र में न्यूक्लियर रेडिएशन का पता लगाता है। इससे किराना हिल्स पर हमले की अफवाह और तेजी से फैली।
दावा किया जा रहा है कि भारत की बमबारी के बाद रेडियोएक्टिव रिसाव शुरू हो गया है और अमेरिका ने रेडिएशन की जांच करने वाले अपने एक विमान को उस साइट पर भेजा है। अब अमेरिका का भी इसपर बयान आ गया है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ‘इस समय मेरे पास इस पर पूर्वावलोकन करने के लिए कुछ भी नहीं है।’ उनके इस बयान का मतलब ये निकलता है कि ‘ऐसा कुछ नहीं है जिसकी जांच की जा सके।’ यानि अमेरिका ने एक तरह से न्यूक्लियर रेडिएशन की जांच की खबरों का खंडन कर दिया है।
किनारा हिल्स अस्सी के दशक तक पाकिस्तान द्वारा परमाणु परीक्षणों के लिए तय की गई जगह थी। यहां से उत्तर पश्चिम की ओर क़रीब आठ किलोमीटर दूर किराना हिल्स इलाका है। मज़बूत चट्टानों से बनी एक पहाड़ी जो अलग ही नज़र आती है। इसके काले-भूरे रंग के कारण स्थानीय लोग काली पहाड़ी भी कहते रहे हैं। ये बहुत ऊंची नहीं है। इसकी सबसे ऊंची चोटी महज़ 320 मीटर ऊंची है। लेकिन इस पहाड़ी की ख़ासियत ये है कि इसके नीचे बनी कई सुरंगों में पाकिस्तान ने अपने कई परमाणु हथियार दुनिया की नज़रों से बचाकर रखे हुए हैं। इन सुरंगों को काफ़ी पुख़्ता बनाया गया है ताकि बाहर से किसी विस्फोट या हमले का उस पर कोई असर न पड़े। यानी इसे पूरी तरह बॉम्ब प्रूफ़ बनाया गया है।