बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए महिलाओं को रोजगार के लिए दिया गया 10 हजार का ग्रांट तुरुप का इक्का साबित हुआ। इसका नतीजा ये रहा कि चुनाव में एनडीए ने आधी आबादी के फुल सपोर्ट से बंपर जीत दर्ज की और नीतीश कुमार ने आज 10वी बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। बिहार के इस चुनाव में महिला रोज़गार योजना की बड़ी भूमिका रही। योजना के तहत पहली किस्त के तौर पर बिहार में 1.5 करोड़ महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये जमा किए गए थे। इसे NDA की चुनावी जीत के कारणों में से एक माना जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिहार में NDA की प्रचंड जीत का बड़ा क्रेडिट असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा को जाता है। दरअसल 10 हजार वाला यह आईडिया उन्हीं का था, जिसे वहां से आई टीम ने बिहार में रखा था।
कैसे जमीन पर आयी ये योजना
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस संबंध में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह स्कीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘तीन करोड़ लखपति दीदी’ बनाने के विज़न से प्रेरित थी।” हमने जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के निर्देश पर अपनी अधिकारियों की टीम को बिहार भेजा। उन्होंने पांच महीने पहले बिहार के तत्कालीन मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा और तत्कालीन विकास आयुक्त और वर्तमान मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत तथा अन्य आवश्यक नेताओं के सामने ‘जीविका 10,000 रुपये मॉडल’ पर एक प्रेजेंटेशन दिया। इसे बिहार में जिसे सभी ने सराहा। इसके बाद इसे मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना में शामिल कर लिया गया।
प्रेजेंटेशन के बाद बन गई सहमति
इसके बाद असम से एक टीम को हिमंता बिस्व सरमा ने बिहार भेजा। असम की टीम द्वारा पटना में दिए गए प्रेजेंटेशन में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि महिलाओं को बिज़नेस आइडिया लाने के लिए 10,000 रुपये नॉन‑रिफंडेबल सीड मनी के तौर पर दिए जाएं। इस पर सभी ने सहमति जताई और तय किया कि एक महिला जिसका पति टैक्सपेयर नहीं होना चाहिए, को बिज़नेस शुरू करने के लिए सरकार यह पैसा देगी। अगली किस्त देना है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कितना फ़ायदेमंद है। यदि 10,000 रुपये लेकर महिला ने कोई काम किया, तो उसे 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त रकम किश्तों में दी जा सकती है।
माँ बहिन योजना से क्या कनेक्शन
दरअसल, RJD नेता तेजस्वी यादव ने 2025 की शुरुआत में बिहार में महागठबंधन के सत्ता में आने पर ‘माँ‑बहिन मान योजना’ की घोषणा की थी। इस योजना के तहत महागठबंधन की सरकार बनने पर हर महिला को हर महीने 2,500 रुपये देने का वादा किया गया था। सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव की इस घोषणा से NDA के लोग परेशान थे क्योंकि महिलाओं को नीतीश का कोर वोटर माना जाता है। सत्ता में वापसी के लिए महिला मतदाताओं को गोलबंद करना बहुत ज़रूरी था। इसके बाद NDA ने महिलाओं पर केंद्रित एक प्रभावी मॉडल की तलाश शुरू की जो महिलाओं पर केंद्रित हो। इसी के बाद एनडीए ने असम के मॉडल को बिहार में लागू करने की पहल शुरू की। इसका नतीजा आज सबके सामने है और बिहार में चुनाव जीतकर नई एनडीए सरकार ने शपथ भी ले ली।