पिछले माह लागू हुई बिहार सरकार की सरकारी शिक्षकों की ट्रांसफर—पोस्टिंग पॉलिसी पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। बिहार सरकार ने 7 अक्टूबर को शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित मांग को मानते हुए ट्रांसफर पॉलिसी की घोषणा की थी। तबादला पॉलिसी की घोषणा करते उस समय नीतीश सरकार ने इसे शिक्षकों के लिए दुर्गापूजा का उपहार बताया था। लेकिन अब पटना हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इस नई ट्रांसफर—पोस्टिंग पॉलिसी पर रोक लगा दी है। इधर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह कहा है कि अभी जो शिक्षक जहां हैं, वे वहीं नियुक्त रहेंगे। सरकार अगर जरूरत पड़ी तो ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव भी करेगी।
बिहार सरकार ने स्थगित की ट्रांसफर पॉलिसी
इसबीच खबर है कि पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद नीतीश कुमार सरकार ने बिहार शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी को स्थगित कर दिया है। खुद शिक्षा मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि कुछ शिक्षक संघ ट्रांसफर नीति से नाराज थे। इसी को लेकर सरकार ने इसे फिलहाल स्थगित करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर नीति पर उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निर्देश प्राप्त हुआ। उनसे विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अब ट्रांसफर पॉलिसी पर अभी विचार नहीं होगा।
औरंगाबाद के शिक्षकों ने दायर की थी याचिका
जानकारी के अनुसार औरंगाबाद के शिक्षकों ने सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी से असहमति जताते हुए इस संबंध में राहत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फिलहाल बिहार सरकार की शिक्षक स्थानांतरण और पोस्टिंग नीति पर स्टे लगा दिया। न्यायाधीश प्रभात कुमार सिंह ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
तीन सप्ताह के भीतर सरकार से जवाब मांगा
शिक्षकों की तरफ से अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार और सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ललित किशोर ने बहस में भाग लिया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों के ट्रांसफर वाली नीति पर अस्थाई रोक लगा दी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के भीतर इस मामले में अपनी स्थिति को स्पष्ट करने का आदेश भी दिया। तीन सप्ताह के नियत समय में सरकार के तरफ से हलफनामा दायर होने के बाद ही हाईकोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला करेगी। अदालत के इस स्टे वाले आदेश से बिहार सरकार के साथ ही वैसे शिक्षकों को भी बड़ा झटका लगा है जो इस नीति के तहत ट्रान्सफर और पोस्टिंग का इंतजार कर रहे थे।
हाईकोर्ट के स्टे पर क्या कहा शिक्षा मंत्री ने
मालूम हो कि नीतीश कुमार की सरकार ने अक्टूबर माह में शिक्षकों के ट्रांसफर—पोस्टिंग की नई नीति लागू की थी। इसके तहत शिक्षकों से पसंद की जगह के आवेदन मांगे गए थे। सरकार ने 22 नवंबर 2024 तक आवेदन की समय सीमा तय की थी। आवेदन न करने वाले शिक्षकों का तबादला सरकार ने अपनी मर्जी से करने की बात भी स्पष्ट की थी। इधर पटना हाईकोर्ट द्वारा ट्रांस्फर पॉलिसी पर रोक के बारे में पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि अदालत के निर्णय का पालन होगा। अगर जरूरत पड़ी तो स्थानांतरण नीति में कुछ बदलाव भी किए जाएंगे। अभी जो शिक्षक जहां हैं वे वहीं नियुक्त रहेंगे।