यूपी के गोंडा में ट्रेन हादसे के लिए रेलवे की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। गोंडा से मोतीगंज-झिलाही रेलमार्ग पहले से ही कमजोर था। इसकी रिपोर्ट भी रेलवे के पास थी और हादसे से ठीक पहले गुरुवार को ही ट्रैक को ब्लाॅक करने का आदेश भी मिला था। यही नहीं हादसे के बाद एक की मैन का ऑडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह दुघर्टना से 4 दिन पहले से ट्रैक खराबी की सूचना दे रहा है। लेकिन अफसरों ने इन तमाम सूचनाओं के बाद भी खराब ट्रैक से ट्रेन गुजरने दी और यह गंभीर हादसा हो गया।
रेलवे की बड़ी लापरवाही, वायरल ऑडियो को नकारा
हादसे के बाद रेलवे ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से करीब चार फीट खिसका मिला। ट्रैक के पास पानी भी भरा था। जिससे ट्रेन के वहां पहुंचते ही ट्रैक 4 फीट तक खिसक गया। वायरल ऑडियो में की मैन इसी की सूचना पिछले 4 दिन से दे रहा था। लेकिन अफसरों ने उसकी एक नहीं सुनी। अभी पूर्वोत्तर रेलवे ऑडियो को नकारते हुए लापरवाही से इनकार कर रहा है। ऑडियो में की मैन रेलवे यूनियन के एक शख्स से कह रहा कि वह ट्रैक में खराबी की शिकायत बार—बार कर रहा है। लेकिन कोई उसकी नहीं सुन रहा। इसपर यूनियन नेता उससे कह रहा है कि तुम डरो नहीं और सच्चाई उपर तक लेकर जाओ।
ट्रेनों की स्पीड कम करने की भी दी थी सलाह
इधर ऑडियो के बारे में कहा जा रहा कि की मैन लगातार लाइन खराब होने के सूचना देने के साथ ही ट्रेनों की स्पीड भी 30 किमी प्रतिघंटा से ज्यादा नही रखने की बात भी कह रहा था। लेकिन हादसे से पहले चंडीगढ़—डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस इस ट्रैक से 70 की स्पीड से गुजर रही थी। पूर्वोत्तर रेलवे के पीआरओ ने कहा कि ऑडियो क्या है, उसमें कौन है, इस पर कुछ नहीं कहना है। हाई लेवल जांच चल रही है और हम सच बताएंगे। उन्होंने इस तरह की ऑडियो से बचकर रहने की भी सलाह दी।
धमाके से इनकार, रेलवे ने बताया प्रारंभिक कारण
इसबीच रेलवे सूत्रों ने बताया कि मौसम बदलने से कभी—कभी पटरी चटक जाती है। चटकी हुई पटरी पर तेज रफ्तार ट्रेन आने पर अक्सर पटरियां अलग हो जाती हैं और ट्रेन डिरेल हो जाती है। ऐसे में जांच टीम यह पता लगाने में जुटी है कि हादसे के वक्त डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस कितनी स्पीड से दौड़ रही थी? हादसे के बाद लोको पायलट और गांव के लोगों ने धमाके की तेज आवाज सुनी वह क्या थी? पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार ने धमाके की पुष्टि की थी। फिलहाल पुलिस ने धमाके से इन्कार किया है।