नीतीश कुमार के चहेते अफसर रहे पूर्व डीजीपी एसके सिंघल पर ईओयू ने अपनी चार्जशीट में गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि एसके सिंघल ने बिहार पुलिस चयन भर्ती केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष रहते हुए प्रश्नपत्र छपवाने की एवज में 10 फीसदी कमीशन लिया था। मामला एक वर्ष पूर्व का है जब बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। जांच में ईओयू ने यह खुलासा किया कि एसके सिंघल ने सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर छापने का टेंडर ऐसी कंपनी को दिया जो महज एक साल पहले बनी और उसे टेंडर देने की एवज में 10 पर्सेंट की कमीशन ली गई।
प्रश्नपत्र छपाई टेंडर में 10% कमीशन
यह बात भी सामने आई कि छपाई वाली जगह से ही सिपाही भर्ती का पेपर लीक किया गया। परीक्षा से पहले बिहार के 74 जगहों पर पेपर लीक की बात सामने आई थी। एसके सिंघल पेपरलीक सामने आने के बाद कहते रहे कि ऐसा नहीं हुआ है। लेकिन जब सरकार की फजीहत होने लगी तब इसकी जांच ईओयू को सौंप दी गई। सिपाही भर्ती परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी। अब ईओयू ने इस मामले में चार्जशीट फाइल की है।
ईओयू की चार्जशीट में खुलासा हुआ कि एस के सिंघल के कार्यकाल में 10 फीसदी कमीशन ली गई। उन्होंने सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर छापने का टेंडर ऐसी कंपनी को दिया जो महज एक साल पहले बनी थी। कंपनी के पास प्रश्नपत्र छापने का कोई संसाधन नहीं था। उससे पहले उत्पाद विभाग में भर्ती परीक्षा का पेपर छापने का ठेका भी इसी कंपनी को दिया गया। उसमें भी एसके सिंघल ने 10 फीसदी कमीशन लिया।
रिटायरमेंट के बाद भी की गई नियुक्ति
सबसे चौंकाने वाली बात यह कि 2022 के दिसंबर में एसके सिंघल डीजीपी के पद से रिटायर हो गए थे। रिटायरमेंट के बाद उन्हें सरकार ने जनवरी 2023 में बिहार में सिपाही भर्ती के लिए बने केंद्रीय परिषद समिति का अध्यक्ष बना दिया। यानी सिपाही भर्ती का पूरा जिम्मा एसके सिंघल को सौंप दिया गया। पेपरलीक कांड के बाद दिसंबर 2023 में अचानक सरकार ने एसके सिंघल को सिपाही भर्ती परिषद के अध्यक्ष पद से हटा दिया। अब इतना कुछ होने के बाद भी 15 मार्च 2024 को बिहार में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड में एसके सिंघल को सलाहकार नियुक्त कर दिया गया है।
इस नियुक्ति में तय हुआ कि एसके सिंघल को बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड के निदेशक के बराबर वेतन भत्ता और पावर मिलेगा। उस दौर में इस कंपनी के CMD आईएएस संजीव हंस हुआ करते थे। ये वही संजीव हंस हैं जिनके घर का दरवाजा ब्रेक कर ईडी की टीम जांच करने पहुंची थी। ईओयू ने जांच में यह भी पाया कि सिंघल ने अपने पद पर रहते हुए लापरवाही बरती और नियमों का पालन नहीं किया। हालांकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।