निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को नए सिरे से तैयार करने का आदेश दिया है। इसके तहत अब सभी वोटरों को एक प्रपत्र जमा करना होगा। इसमें 2003 के बाद पंजीकृत लोगों को नागरिकता का प्रमाण देना होगा। वोटर लिस्ट का यह विशेष पुनरीक्षण बिहार समेत सभी राज्यों में होगा। बिहार में तो यह प्रक्रिया इस माह की 25 तारीख से शुरू भी कर दी गई है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने बिहार समेत देशभर में पंजीकृत ऐसे गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची हटाने की प्रक्रिया भी शुरू की है जो 2019 से पिछले छह वर्षों मेंं चुनाव लड़ने की आवश्यक शर्त्तों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
जानकारी के अनुसार दिल्ली से चुनाव आयोग के 9 सदस्यों की टीम इस समय बिहार का दौरा कर रही है। टीम ने बिहार में वोटर पुनरीक्षण का काम समय से पूरा के लिए आवश्यक निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इसे हर हाल में 30 सितंबर से पहले पूरा कर लिया जाए। यह प्रक्रिया राज्य में शुरू हो गई है और 30 सितंबर को अंतिम वोटर सूची के प्रकाशन के साथ यह समाप्त हो जाएगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य वोटर सूची को अपडेट करना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल भारतीय नागरिक ही वोटर के रूप में पंजीकृत हों। इधर राजद समेत तमाम विपक्ष ने चुनाव आयोग के इस अभ्यास पर चिंता जताई है और कहा है कि इससे वोटरों का नाम वोटर सूची से काटा जा सकता है।
उधर भारत निर्वाचन आयोग ने बीते दिन कहा कि उसने 345 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) को सूची से हटाने की कार्यवाही शुरू कर दी है, जो 2019 से पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने की आवश्यक शर्त को पूरा करने में भी विफल रहे हैं। आयोग ने बताया कि इन राजनीतिक दलों के कार्यालय का भी कहीं भौतिक तौर पर पता नहीं लगाया जा सका। इसने कहा कि ये 345 राजनीतिक दल देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। यह कदम बिहार चुनाव से पहले उठाया गया है। सूची से हटाई गई पार्टियां चुनाव लड़ने के लिए अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकतीं।