लोकसभा चुनाव के छठे फेज में बिहार की जिन सीटों पर 25 मई को मतदान होना है, उनमें सबकी नजरें वैशाली पर हैं। एक तो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत। उसमें भी वैशाली जिसे भगवान महावीर की जन्मस्थली और भगवान बुद्ध की कर्मस्थली के साथ ही दुनिया को विश्व का पहला गणतंत्र देने का श्रेय है। लेकिन विडंबना यह कि आज हम वैशाली की चर्चा बाहुबली और हत्या के आरोप में जेल जा चुके नेता के मौजूदा चुनाव में प्रत्याशी बनने और चुनावी समीकरणों पर इसके पड़ने वाले प्रभाव की वजह से कर रहे।
बाहुबलियों का रोचक दांव-पेच!
वैशाली लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में एनडीए और राजद नीत इंडिया अलायंस में सीधी टक्कर है। दोनों गठबंधन एकदूसरे के सामाजिक समीकरणों में हेरफेर करने का प्रयास कर रहे हैंं। राजद ने यहां बाहुबली विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को टिकट देकर एनडीए के कोर वोटबैंक को कनफ्यूज करने की रणनीति अपनाई तो एनडीए ने लोजपा की वीणा सिंह पर भरोसा किया। यहां एनडीए और लोजपा ने राजद से इस्तीफा देने वाले एक अन्य बाहुबली रामा सिंह को अपने पाले में कर राजद खेमे में खलबली मचा दी है। रामा सिंह इसबार उन्हें राजद से टिकट न मिलने से नाराज थे। रामा सिंह की राजपूत मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है और वे वैशाली में राजद को बड़ा नुकसान तथा एनडीए को फायदा पहुंचाते नजर आ रहे।
मुन्ना या रामा सिंह+ वीणा, भारी कौन?
वैशाली से राजद के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पांच बार सांसद रहे। यहां के सामाजिक समीकरण में राजपूत और भूमिहार मतदाताओं का असर—रसूख रहा है। जहां राजद ने मुन्ना शुक्ला पर दांव लगा एनडीए के कोर वोटबैंक में सेंध लगाने का दांव खेला, वहीं ऐन चुनाव के मौके पर एनडीए में बाहुबली रामा सिंह की एंट्री ने यहां का चुनाव रोचक बना दिया है। रामा सिंह के एनडीए में जाने से राजद के सामने राजपूत वोट बंटने का संकट गहरा गया है। रामा के समर्थन से वीणा व मुन्ना की टक्कर दिलचस्प हो गई है।
लोकतंत्र की जननी अब बाहुबलियों की रणभूमि
मुन्ना मुजफ्फरपुर की लालगंज विधानसभा सीट के रहने वाले हैं। 90 के दशक में अपराधियों के दो बड़े गुट थे, मुन्ना के बड़े भाई कौशलेंद्र उर्फ छोटन शुक्ला, जिसे राजपूत नेता आनंदमोहन सिंह की सरपस्ती हासिल थी। दूसरा ओमकार सिंह का गुट, जिसे पिछड़ी जाति के नेता और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद का साथ मिला था। अपराध की दुनिया में कुख्यात होने के बाद मुन्ना ने 1999 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। बाद में जदयू से तीन बार लालगंज से विधायक रहे। 2009 में वैशाली से जदयू ने रघुवंश प्रसाद के खिलाफ उतारा, पर वे हार गए।
क्या है सामाजिक समीकरण और क्या हैं मुद्दे
वीणा देवी मुजफ्फरपुर से एमएलसी दिनेश प्रसाद की पत्नी हैं। वीणा पिछला चुनाव लोजपा से जीती थीं। वैशाली में उन्हें राजपूत के साथ ही भूमिहारों का भी एकतरफा वोट मिला करता था। लेकिन राजद ने इस बार मुन्ना शुक्ला को टिकट देकर उनके वोटरों में बंटवारे का दांव चल दिया। लेकिन वीणा देवी को रामा सिंह का साथ मिलने से नुकसान की भरपाई होती प्रतीत हो रही। जहां तक वैशाली में मुद्दों की बात है तो
छह विधानसभा सीटों वाले इस लोकसभा क्षेत्र में बाढ़, शहरी विकास, पर्यटन की उपेक्षा, व रोजगार बड़े मुद्दे हैं। एनडीए की प्रत्याशी वीणा देवी की छवि मतदाताओं में अच्छी है। अब सामाजिक समीकरण में भी रामा सिंह के उनके साथ हो लेने से वे काफी राहत महसूस कर रही हैं।