इस बार चित्रगुप्त पूजा 3 नवंबर को मनाई जाएगी। मान्यता यह है कि दीपावली के एक दिन के बाद चित्रगुप्त पूजा मनाई जाती है। लेकिन इस बार कार्तिक शुक्लपक्ष यम द्वितीया 3 नवंबर को है। इसलिए रविवार को चित्रगुप्त पूजा के साथ-साथ गोधन पूजा भी मनाई जाएगी। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। पटना में गर्दनीबाग स्थित ठाकुरबाड़ी में आयोजित चित्रगुप्त पूजा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होते हैं। यहां की चित्रगुप्त पूजा सबसे खास होती है और बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचकर भगवान चित्रगुप्त का दर्शन कर कच्ची प्रसाद ग्रहण करते हैं।
बिहार में कहां—कहां और कब है चित्रगुप्त पूजा
बिहार में हर जिले में जहां—जहां भी स्थाई रूप से चित्रगुप्त भगवान की मूर्ति है, वहां चित्रगुप्त पूजा का आयोजन होता है। हर वर्ष की भांति इस बार भी करीब 50 से अधिक जगहों पर चित्रगुप्त भगवान की मूर्तियों को स्थापित किया गया है। उन सभी मूर्तियों का विधिवत 3 नवंबर को पूजन होगा और 4 नवंबर को यहां सामूहिक आरती होगी। इसके बाद फिर सामूहिक विसर्जन किया जाएगा। आरती में हर साल बिहार के मुख्यमंत्री भी शामिल होते हैं।
कौन हैं चित्रगुप्त भगवान, क्या है पूजा विधान
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र हैं और कायस्थ के पूर्वज हैं। लेकिन वह सभी कलम जीवों के देवता हैं। चाहे वह किसी भी जाति के हों, किसी भी बिरादरी के हों, किसी भी धर्म और संप्रदाय के हों, चाहे मुसलमान या इसाई हों उससे कोई दिक्कत नहीं है। अगर भगवान चित्रगुप्त ने कलम पकड़ा है तथा वे चाहे जिस भी कर्म में हों—चाहे न्याय के कार्य में, वकालत में, अकाउंटेंसी में, लिखा-पढ़ी खाता बही में और आज के दिन में जो कंप्यूटर के हाई तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हैं, उन सभी के आराध्य चित्रगुप्त महाराज हैं।
ब्रह्मा जी के पुत्र हैं भगवान चित्रगुप्त
कहा जाता है कि जब सृष्टि की रचना हुई तो कुछ ही वर्षों के बाद यमराज ब्रह्मा जी के पास पहुंच गए और उनसे कहा कि प्रभु श्रृष्टि के सभी लोगों के कर्म का हिसाब रखना मेरे बस की बात नहीं है। यह काम हमसे मत करवाइए। आपने स्वर्ग और नरक का निर्माण कर दिया है, लेकिन किन लोगों को स्वर्ग और किन को नर्क भेजना है, इस बात की गलती मुझसे हो जाती है। इसलिए इसका कोई मार्ग निकालें ताकि पुण्य करने वाले लोगों को स्वर्ग भेजा सके और पाप करने वालों को नर्क भेजा जा सके। ब्रह्मा जी ने कहा कि रुको मुझे सोचने दो, यह कहकर वह ध्यान में चले गए। और इस तरह ब्रह्मा जी 11,000 साल तक ध्यान में रहे। उसके बाद जब उन्होंने आंख खोल तो सामने में चित्रगुप्त महाराज खड़े थे। ब्रह्मा जी ने चित्रगुप्त भगवान् से पूछा कि कौन हो तुम? तब चित्रगुप्त भगवान ने कहा कि आप ही के काया से मेरा जन्म हुआ है। आप ही ने मुझे बुलाया है. मैं आपका पुत्र हूं और आपके आदेश के पालन के लिए मैं यहां खड़ा हूं। तभी ब्रम्हा जी ने कहा कि जब मेरे ही काया से तुम्हारा जन्म हुआ है तब तुम आज से कायस्थ कह्लातुम्हारी संज्ञा है और पृथ्वी पर तुम चित्रगुप्त के नाम से विख्यात होगे। आज के गौड़, माथुर, भटनागर, सेनक, अस्ठाना, श्रीवास्तव, अम्बष्ठ और कर्ण आदि उनके ही पुत्र हुए।