बिहार में विधानसभा उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हो गईं हैं। इसबीच उपचुनाव वाली 4 सीटों में से एक रामगढ़ में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। यहां कांग्रेस के पुराने नेता परशुराम तिवारी ने इस्तीफा दे दिया है। परशुराम तिवारी दो दशकों से कांग्रेस से जुड़े हुए थे और उनकी पहचान क्षेत्र में एक जमीनी नेता की रही है। श्री तिवारी ने अपना इस्तीफा सीधे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजा है। महागठबंधन ने उपचुनाव वाली चार सीटों में से रामगढ़ में राजद का उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है। जबकि कांग्रेस ने किसी भी सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।
अजीत सिंह को टिकट मिलने से थे नाराज
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परशुराम तिवारी ने रामगढ़ सीट पर महागठबंधन की ओर से प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत सिंह को उम्मीदवार बनाने के बाद ही कांग्रेस छोड़ने का फैसला कर लिया था। अजीत सिंह की उम्मीदवारी के बाद से ही परशुराम तिवारी नाराज चल रहे थे। इस सीट पर वे खुद चुनाव लड़ना चाह रहे थे। उन्होंने इस्तीफे के बाद कहा कि बिहार में कांग्रेस पार्टी राजद की पिछलग्गू बनकर रह गई है। परिवारवाद के पोषक लोगों के बूते इस राज्य में कांग्रेस और गठबंधन को चलाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के आगे बने रहना संभव नहीं है। इसीलिए मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
रामगढ़ से उपचुनाव लड़ने की थी चाहत
रामगढ़ में परशुराम तिवारी एक जुझारू जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी एक खास इलाके के लोगों पर काफी अच्छी पकड़ भी बताई जाती है। इसके अलावा वे दो बार रामगढ़ सीट से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव भी लड़ चुके हैं। कहा जा रहा है कि परशुराम तिवारी इस बार रामगढ़ सीट से बतौर महागठबंधन प्रत्याशी चुनाव लड़ना चाह रहे थे। लेकिन महागठबंधन में यह सीट राजद को चली गई। इसी से नाराज होकर उन्होंने महागठबंधन और कांग्रेस दोनों को छोड़ने का फैसला कर लिया। खबर है कि उनके इस्तीफे से महागठबंधन को रामगढ़ में बड़ा नुकसान हो सकता है। बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है और वह अब परशुराम तिवारी को अपने पाले में लाने में जोरशोर से जुट गई है