बाढ़ : माघी पूर्णिमा पर बिहार का काशी (बनारस)बाढ़ अनुमंडल का सुविख्यात “उमानाथ मंदिर-घाट” पर उत्तरायण प्रवाहित गंगा नदी में राज्य के कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं ने डुबकियां लगाई तथा पास के मंदिरों में पूजा-अर्चना किया। धर्मग्रंथों के मुताबिक राजधानी पटना से महज 70 कि० मि० पर स्थित बाढ़ अनुमंडल के साधु-संतों के समागम का चर्चित तीर्थ क्षेत्र “उमानाथ मंदिर-घाट” पर माघ माह के पूर्णिमा पर डुबकियां लगाकर मनोकामना सिध्द “उमानाथ महादेव” की पूजा-अर्चना के लिये राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों से सदियों से श्रद्धालुओं का काफी भीड़ हुआ करता है। 
श्रीरामचरित मानस के उत्तर कांड में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है कि भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भगवान उमानाथ महादेव की स्तुति करते हुये कही कि “न यावत उमानाथ पादारविंदम, भजंतिह लोके पर वा नारायणं। “महाभारत काल में अभ्यारण्य के रूप में स्थापित “उमानाथ महादेव” ख्याति से देश भर के साधु-संत अवगत हैं।माघी पूर्णिमा के मेले में विशेषकर कृषक एवं कृषक मजदूरों की भीड़ गंगा नदी में स्नान कर बसंत ऋतु के अपने नये फसलों को मां गंगा और देवी-देवताओं के समर्पण करने के उद्देश्य से भी होता है।
वहीँ, माघी पूर्णिमा में उमड़े श्रध्दालुओं की भीड़ को नियंत्रित एवं सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम के लिये जिलाधिकारी डॉ० चंद्रशेखर प्रसाद सिंह एवं वरीय आरक्षी अधीक्षक के निर्देशानुसार एसडीएम शुभम कुमार, एएसपी राजेश कुमार, सीओ डॉ० नरेंद्र कुमार सिंह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी दिनेश कुमार सहित पटना जिले के कई पदाधिकारी माघी पूर्णिमा के एक दिन पूर्व से ही पुलिस बल के साथ प्रशासनिक चाक-चौबंद ब्यवस्था में मौजूद थे, जबकि नगर परिषद अध्यक्ष संजय कुमार उर्फ गायमाता, नगर उपाध्यक्ष प्रतिनिधि रविशंकर विद्यार्थी अपने लाव-लश्कर के साथ काफी संख्या में आये श्रध्दालुओं की सहयोग में लगे रहे।
वैसे अनुमंडल के विभिन्न गंगाघाटों पर भी श्रध्दालुओं ने उत्तरायण गंगा नदी में डुबकियां लगाकर अपनी-अपनी मन्नते पूरी होने की प्रार्थना पास के मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के साथ किया। माघी पूर्णिमा पर अनुमंडल के सुविख्यात उमानाथ, अलखनाथ, बाल शनिधाम, बनारसी घाट,पोस्ट ऑफिस,गौरीशंकर सहित अन्य सभी घाटों पर असंख्य श्रद्धालु जहां उत्तरायण गंगा नदी में आस्था की डुबकियां लगा रहे थे तो वहीं, घाटों पर अंधविश्वास की भूतखेली का अदभुत नजारा देखने का आनंद उठा रहे थे।
ज्ञात हो कि मैने अपने पत्रकारिता कदम रखते ही 1980 के दशक में विभिन्न राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों के पाठकनामा कॉलम के माध्यम से सुविख्यात “उमानाथ मंदिर-घाट” राज्य पर्यटक केंद्रों में शामिल किये जाने एवं माघी पूर्णिमा को राष्ट्रीय मेले के रूप में मान्यता दिये जाने और बाढ़ स्टेशन का नाम बदल कर “उमानाथ धाम” किये जाने की मांग केंद्र एवं राज्य सरकार से कई बार किया है, पर केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अब तक पहल नही किया गया। अलबत्ता उन दिनों रेल मंत्रालय से कई बार लिखित निवेदन किये जाने पर बाढ़ स्टेशन के बोर्ड में उमानाथ धाम अंकित किया गया था।
इस ओर स्थानीय जनप्रतिनिधि के उदासीन रबैये से अब तक न तो सुविख्यात “उमानाथ मंदिर-घाट” राज्य सरकार के पर्यटक सूची में शामिल हो सका और न तो माघी पूर्णिमा को राष्ट्रीय मेला घोषित किया जा सका। बिहार का काशी नाम से प्रसिध्द “उमानाथ मंदिर-घाट” हर वर्ष माघी पूर्णिमा को अर्द्ध कुंभ मेला लगता है। वैसे तो हर वैश यहां वैशाखी और कार्तिक मेला में भी श्रद्धालुओं का भीड़ हुआ करता हैऔर सामान्य दिनों में भी श्रध्दालुओं का तांता लगा रहता है।
सत्यनारायण चतुर्वेदी की रिपोर्ट