लोकसभा चुनाव अंतिम दौर में है और बिहार की बची हुई 8 सीटों पर 1 जून को होने वाला मतदान दोनों गठबंधनों के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है। एनडीए और इंडिया, दोनों गठबंधन भीतरघात तथा कोर वोटबैंक के इधर—उधर होने के डर में जी रहे हैं। लेकिन आरा वह सीट है जहां साफ सुथरी छवि वाले राजकुमार सिंह विकास का झंडा बुलंद करने के दम पर भाजपा को अपर हैंड देने में कामयाब होते दिख रहे हैं। आरा में दो गठबंधनों के बीच सीधी लड़ाई होने का भी फायदा एनडीए को है क्योंकि इससे उसका कोर वोटबैंक किसी तरह के कन्फ्यूजन का शिकार नहीं हो रहा।
आरा की सीधी लड़ाई में एनडीए सहज
अगर बिहार में अब तक के चुनाव पर नजर डालें तो साफ है कि जहां—जहां सीधी लडाई रही, वहां—वहां एनडीए सहज रहा। लेकिन जहां भी फाइट त्रिकोणीय, चतुष्कोणीय हुआ, वहां—वहां एनडीए को मुश्किल पेश आई। सातवें चरण की बक्सर, काराकाट और जहानाबाद सीट पर भी इसे देखा जा सकता है। बात करें तो आरा की तो यहां भाजपा ने केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को तीसरी बार मैदान में उतारा है। महागठबंधन की ओर से उन्हें चुनौती दे रहे हैं सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद। सुदामा प्रसाद आरा लोकसभा सीट अंतर्गत तरारी विधानसभा सीट से विधायक हैं।
आरा लोस क्षेत्र की 7 विधानसभा सीटों का गणित
आरा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं। इनमें आरा और बड़हरा से भाजपा विधायक हैं तो संदेश, जगदीशपुर और शाहपुर में आरजेडी के विधायक हैं। वहीं तरारी और अगियांव विधानसभा सीट पर सीपीआईएमएल का कब्जा रहा। हालांकि फिलहाल अगियांव सीट पर उपचुनाव होना है क्योंकि यहां के मौजूदा सीपीआईएमएल विधायक एक हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद अपनी विधायकी गंवा चुके हैं।
जातिगत समीकरणों के आइने में आरा लोस क्षेत्र
आरा लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 20 लाख 55 हजार 316 है। इनमें 11 लाख 25 हजार पुरुष मतदाता तो 9 लाख 29 हजार 835 महिला मतदाता हैं जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा यादव जाति के मतदाता हैं। वहीं दूसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं। इसके अलावा मुस्लिम मतदाता भी यहां बड़ी संख्या में हैं जो जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन एनडीए के लिए आरा में निर्णायक होते हैं कुशवाहा और ब्राह्मण मतदाता जिनकी संख्या तो थोड़ी है लेकिन उनका एकजुट वोट एनडीए को यहां मिलता रहा है।
राजकुमार को सुदामा प्रसाद से मिल रही कड़ी टक्कर
जहां तक मुकाबले की बात है तो आर के सिंह की ईमानदार छवि और विकास के कई काम उनके मजबूत पक्ष हैं। जबकि सुदामा प्रसाद को सीपीआईएमएल के कैडर वोटर्स के साथ-साथ यादव और मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा है। आरा पर नजर रखने वाले चुनावी विश्लेषकों के अनुसार यहां लड़ाई बहुत टफ है और यह नहीं कहा जा सकता की आसानी से NDA मैदान मार लेगा। लेकिन आम लोगों में यहां यह धारणा गहरे पैठ बना चुकी है कि पिछले वर्षों में यहां काफी विकास हुआ है। आरा में कई ट्रेनों का ठहराव हुआ है और पटना-बक्सर फोरलेन भी बन रहा है।