बिहार के किसानों के लिए बड़ी खबर है। राज्य में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) से हटाए गए सभी सदस्यों की सदस्यता फिर से बहाल की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए यह आदेश दिया। अब बिहार में विभिन्न पैक्स से हटाए गए सभी सदस्यों की सदस्यता बहाल हो जाएगी। पटना हाईकोर्ट ने पूर्व में पैक्स की सदस्यता से जुड़े नियम 7 (4) को असंवैधानिक ठहराया था जिससे इन सदस्यों की सदस्यता चली गई थी। इस फैसले के बाद ये सभी सदस्य अगले माह से होने वाले पैक्स चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे।
सहकारिता विभाग ने अधिकारियों को दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सहकारिता विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हाईकोर्ट के निर्णय पर जिन सदस्यों को हटा दिया गया था, उन्हें फिर से संबंधित पैक्स से जोड़ा जाए और उनके नाम मतदाता सूची में शामिल किए जाएं। इसके साथ ही सहकारिता विभाग ने अपना वह पुराना आदेश भी वापस ले लिया है जिसमें नियम 7 (4) को हटाने की बात कही गई थी।
फैसले के बाद क्या कहना है सहकारिता सचिव का
सहकारिता विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि माननी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विभिन्न पैक्सों में सभी सदस्यों को फिर से जोड़ा जा रहा है। हम हटाए गए सदस्योें के नाम मतदाता सूची में शामिल करना शुरू कर चुके हैं। इतना ही नहीं, सहकारिता विभाग की ओर से बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकरण को भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दे दी गई है।
सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने किया फैसले का स्वागत
इधर बिहार के सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे राज्य के एक लाख से अधिक किसान सदस्यों की पैक्स सदस्यता पुनः बहाल हो जाएगी। इसके बाद वे आगामी पैक्स चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारिता सहयोग में काफी सहूलियत होगी और किसानों को कम ब्याज पर ऋण मुहैया कराने में काफी आसानी होगी। किसान खेती के लिए जरूरी संसाधन जुटाने में समर्थ होंगे और इसका सीधा फायदा उन्हें मिल सकेगा।