तख्त वही है ताज वही है वंशवाद का राज सही है
आपातकाल के बाद जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई थी तब उस समय के लालू यादव, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, अश्विनी चैबे, नरेंद्र सिंह जैसे सैकड़ों युवा नेता उछल-उछल कर नारा लगाते थे-तख्त बदल दो ताज बदल दो वंशवाद का राज बदल दो। 1977 से लेकर 1989 तक यह नारा गैर कांग्रेसी दलों के नेताओं की जुबान पर बसता था लेकिन 1989 के बाद धीरे-धीेरे यह नारा लुप्त हो गया।
और अब 74 आंदोलन के कुछ नेताओं के राग और गीत दोनों बदल गए है। उनकी जुबान पर अब जो नारा है वह तख्त वही है ताज वही है वंशवाद का राज सही है। लोकसभा चुनाव 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के निशाने पर वंशवाद यानी परिवारवाद है।
राम का पात्र निभाने वाला बना रावण
1977 में लगने वाले नारे की पैरोड़ी से बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है। रामलीला में राम का पात्र निभाने वाला बालकलाकार युवावस्था में रावण की भूमिका में आ गया है। कांग्रेस की वंशवादी राजनीति का विरोध करने वाले अब वंशवाद के मामले में कांग्रेस के निकृष्ट संस्करण बन कर रह गए हैं।
कांग्रेस के सर्वमान्य नेता जवाहरलाल नेहरू ने तो धीरे-धीरे वरीष्ठ कार्यकर्ताओं को दरकिनार करते हुए अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस का कमान सौप दिया था। उस समय नेहरूजी की उस ढंकी हुई बेइमानी की भी आलोचना हुई थी।
उनकी पुत्री इंदिरा गांधी उनसे कई कदम आगे बढ़ते हुए लाजलिहाज को दरकिनार कर अपने छोटे पुत्र संजय गांधी के हाथों मंे पार्टी और सरकार का कमान सौप दिया था। संजय गांधी की हवाई दुर्धटना में मृत्यु के बाद उन्होंने राजीव गांधी को कांग्रेस में लाया और उन्हें संगठन और सत्ता का केंद्र बना दिया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वंशवादी कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी के दरबारियों ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बना दिया था। अब कांग्रेस में परिवारवाद की राजनीति पौधा से विशाल वट वृक्ष बन गया है।
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इंदिरा की हत्या के बाद मजबूत हुआ वंशवाद
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भावना की लहर पर सवार कांग्रेस को 404 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी। यह भारत के चुनावी इतिहास में अभूतपूर्व है। 1984 के बाद 2024 में यानी 40 वर्षों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 400 पार का लक्ष्य निश्चित किया है। नरेन्द्र मोदी के 404 के सपने को 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत के मतदाता साकार करते हैं या नहीं, यह 4 जून को पता चलेगा।
लेकिन राजीव गांधी के उस अभूतपूर्व विजय ने कांग्रेस में वंशवाद या परिवारवाद की परम्परा को दृढ़ बना दिया था। अपरा जनसमर्थन के कारण गांधी परिवार कांग्रेस की पारिवारिक कंपनी जैसी हो गयी। जिसके कारण भारत का सरकारीतंत्र पूरी तरह से राजीव गांधी के परिवार व उस परिवार के दरबारियों के चंगुल में चला गया। इसके बाद भ्रष्टाचार का नंगा नाच शुरू हो गया। राजीव गांधी सरकार के मंत्री वीपी सिंह ने रक्षा सौदा में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किकया। इसके बाद उसे लेकर वे आगे बढ़े और राजीव गांधी की सरकार चली गयी।
गांधी परिवार और कांग्रेस के पतन के बाद समाजवादियांे का राजपाट आया। बिहार में लालू यादव तो उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकारें बनीं। 1989 तक जो परिवारवाद को पानी पी पीकर जो कोसते थे वे कुछ ही वर्षों में परिवारवाद के निकृष्ट उदाहरण बन गए।
लालू के सालों का राजपाट
लालू यादव के बेटे-बेटियां कम उम्र की थीं तो उन्होंने अपने सालों को अघोषित बिहार सरकार ही बना डाला। लालू यादव के प्रथम शासन काल को लोग साधू-सुभाष चलती काल कहते हैं। शिक्षा, संस्कृति जैसे कोटे से अपने सालों को विधानपरिषद का सदस्य बनावा दिया इसके बाद सारे नियमों को ताक पर रखते हुए कैबिनेट मंत्री के लिए निर्धारित कोठी में उनके आवास की व्यवस्था करा दी गयी थी।
भव्य सरकारी आवास में लालू यादव के सालों के दरबार सजते थे जहां आईएसएस, आईपीएस अधिकारी से लेकर नेता तक माथा टेकते थे। जब बेटे और बेटियां बड़ी हो गयी तब उनके हाथों में पार्टी और सरकार की जिम्मेदारी थमा दी। लालू के साले उनके दुश्मन बन गए।
मुलायम के कुनबे के सभी माननीय
वहीं बगल के प्रदेश यूपी में तो मुलायम सिंह यादव ने कमाल ही कर दिया। उनके पारिवारिक कुनबे के 50-60 लोग नीचे से उपर तक माननीय बना दिए गए। युवाराज मतलब पुत्र अखिलेश ने मुलायम सिंह के बाद सीएम की गदी संभाली। समाजवादी कुनबे के रामविलास पासवान, शिवनंद तिवारी, जगदानंद सिंह, प्रभुनाथ सिंह, समाजवाद का तमगा लगाए बाहुबलि आनंद मोहन, पप्पू यादव जैसे दर्जनों नाम है जो कांग्रेस के समय गलाफाड़कर तख्त बदल दो ताज बदल दो के नारे लगाते थे लेकिन जब अवसर मिला तब उन नारों को तिलांजलि देकर अपने लिए नया नारा गढ़ लिया।
जेपी आंदोलन के सहारे नेतागिरी में उतरने वाले कथित समाजवादी कुनबे के लोग जो भजन गाने लगे हैं उसका बोल है तख्त वही है ताज वही है वंशवाद का राज सही है। ऐसे लोगों के कारण लोकतंत्र ढकोसला जैसा बन गया है।