नवादा : मगध प्रमंडल आयुक्त कार्यालय के भ्रष्ट लिपिक हेमंत कुमार को अधिकारियों द्वारा बचाने का हरसंभव प्रयास आरंभ कर दिया गया है। वैसे आयुक्त के सचिव द्वारा ज्ञापांक 106 गो दिनांक 12/10/25 द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण का जबाब हेमंत कुमार ने दिया है। दिये गये जबाव में स्वीकार किया है कि मुखिया द्वारा मिठाई खाने के नाम पर राशि दी जा रही थी। शायद उन्हें यह पता नहीं कि राशि देने वाला मुखिया नहीं बल्कि मुखिया पुत्र है जिसके विरुद्ध लोक प्रहरी में वाद की सुनवाई चल रही है।
अब सबसे बड़ा सवाल कोई मिठाई किसी को कब खिलाता है? जाहिर है जब किसी के पक्ष में परिवाद का निर्णय आता है तब उत्साह में आकर मिठाई बांटकर खुशी मनाता है न कि किसी को मिठाई खाने के लिए राशि देता है। क्या मुखिया के पक्ष में निर्णय आया? अगर नहीं तो फिर मिठाई खिलाने का कोई तुक नहीं। जाहिर है सुनवाई के पूर्व किसी प्रकार की राशि का लेन-देन भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। फिर जांच कैसा?
आश्चर्य तो यह कि जिस व्यक्ति को गवाह बनाया जा रहा है उसके विरुद्ध लोक प्रहरी कार्यालय में वाद चल चुका है और हेमंत कुमार द्वारा येन केन प्रकारेण लाभ पहुंचाने का काम किया जा चुका है। ऐसे में भले ही तत्काल उनकी प्रतिनियुक्ति रद्द कर पुनः समाहरणालय वापस किया गया हो, लेकिन इससे उनका अपराध कम नहीं होता। इससे यह स्पष्ट है कि कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे जो होने चाहिए या तो है ही नहीं या फिर दिखावे के लिए। ऐसे में भ्रष्टाचार तो बढ़ेगा है। फिर उस फोटो और राशि लेने की बात स्वीकार करने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं? सवाल पूछा जाने लगा है।
भईया जी की रिपोर्ट