चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही बिहार में सियासी सरगर्मी चरम पर है। NDA और महागठबंधन में सीट बंटवारा अभी तक फाइनल नहीं हो पाया है और इसे अंतिम रूप देने के लिए दोनो गठबंधनों में बैठकों का दौर जारी है। इसबीच खबर है कि NDA में चिराग पासवान की मान—मनौव्वल के बीच अब HAM नेता जीतन राम मांझी भी ‘डोल’ गए हैं। केंद्रीय मंत्री और हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा यह बयान देकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया कि—’मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं, अगर 15 से कम सीटें मिली तो हमारी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी’। हालांकि इसके साथ ही मांझी ने यह भी कहा कि—’कम सीटें मिलती हैं तो भी हम एनडीए में ही बने रहेंगे और सारी चीजों पर संसदीय बोर्ड में चर्चा करेंगे’।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएंगें, परिजन पे असी ना उठाएंगे’।जीतन राम मांझी के इस तल्ख तेवर ये साफ है कि वे चेतावनी वाले मूड में आ गए हैं। उन्होंने एनडीए नेतृत्व से साफ कह दिया कि उन्हें 15 सीटों से कम मंजूर नहीं। मांझी की पार्टी ‘हम’ पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही थी और उन्हें चार सीटें मिली थीं। इस बार वे अपने संगठन की मजबूती और दलित वोटबैंक को आधार बनाकर बड़ी हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अब चिराग और मांझी की पार्टी HAM की सख्त स्थिति ने NDA की सीट बंटवारे की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। बीजेपी जहां छोटे सहयोगियों को साथ रखकर गठबंधन की एकजुटता बनाए रखना चाहती है, वहीं चिराग और मांझी दोनों “सम्मानजनक हिस्सेदारी” की मांग पर अड़े हुए हैं।
NDA सूत्रों का कहना है कि मांझी और चिराग अपने संगठन की ताकत और दलित वोटबैंक का हवाला देकर दबाव बनाए हुए हैं। भाजपा और जदयू के सामने चुनौती यह है कि दोनों नेताओं को साथ रखते हुए गठबंधन की एकजुटता बनाए रखी जाए। बिहार की राजनीति में चिराग और मांझी दोनों के अपने-अपने समीकरण हैं और अगर यह समीकरण बिगड़ता है, तो एनडीए के लिए यह चुनावी गणित को उलझा सकता है। ऐसे में न तो भाजपा और न जदयू उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकती है। क्योंकि मांझी और चिराग दोनों के पास अपने-अपने वोट बेस हैं। इसलिए एनडीए के दोनों बड़े दल चिराग और मांझी को खोने का रिस्क नहीं ले सकते। माना जा रहा कि थोड़ा आगे—पीछे होकर अगले एक—दो दिनों में एनडीए की सीट शेयरिंग की गुत्थी सुलझा ली जाएगी।