नवादा : बालू घाटों पर जुलाई महीने से एनजीटी प्रभावी होने के बाद बालू का उठाव पूरी तरह बंद हो जायेगा। इसको लेकर पेशेवर बालू माफिया अभी से ही बालू का अवैध भंडारण करने में जुट गये हैं। यही वजह है कि जिले के विभिन्न बालू-घाटों से ट्रैक्टरों के जरिये बालू का अवैध उठाव और परिवहन जोरों पर जारी है। सक्रिय बालू-माफियाओं द्वारा जिले के सकरी, तिलैया, खुरी, पंचाने, धनार्जय, जमुगांय व ढाढ़र नदी के आसपास में बड़े पैमाने पर किये जा रहे बालू के अवैध भंडारण को कोई भी देख सकता है।
बावजूद नियमों को ठेंगा दिखाकर जिले के नदियों में बड़े पैमाने पर बालू का अवैध खनन हो रहा है। बीसियों अवैध बालू घाट बनाये गये हैं जहां से दिन-रात बालू का उठाव किया जा रहा है। इस काले कारोबार में नवादा, अकबरपुर, रजौली, मेसकौर, हिसुआ व नरहट प्रखंडों के बड़े-बड़े तस्कर पूरे जोर से सक्रिय हैं। आकाओं के संरक्षण में हो रहे इस खेल में नीचे से ऊपर तक कई सफेदपोश शामिल हैं। पूरे जिले में बालू माफिया का ऐसा तगड़ा नेटवर्क काम कर रहा है कि इनके डर से सरकारी तंत्र भी कड़ी कार्रवाई का साहस नहीं जुटा पाता है। रात के अंधेरे में रोज बालू भरकर सैंकड़ों -ट्रैक्टर यहां से निकलते हैं जिन्हें माफिया के चट्टे-बट्टे जिले की सीमा से सुरक्षित पार कराते हैं।
500 से 5000 रुपये तक वसूली
अवैध बालू के खेल में प्रति ट्रैक्टर 500 और हाइवा-ट्रक से 5000 रुपये तक इंट्री-पासिंग फीस वसूली जाती है। खेल के कुछ महत्वपूर्ण प्वाॅइंट्स हिसुआ, नरहट व मेसकौर प्रखंड के बड़े तस्कर सक्रिय। बालू का अवैध खनन ट्रक, ट्रैक्टर से लेकर टोटो तक का इस्तेमाल हो रहा है। माफियाओं का आतंक जारी है। बताया गया कि पहले ट्रैक्टरों से बालू निकालकर नदी किनारे डंप किया जाता है इसके बाद छोटे-बड़े वाहनों यथा हाइवा-ट्रक पर लोड होता है। सकरी, खुरी, धनार्जय,तिलैया नदी व ढाढ़र नदी के बालू घाटों से सालाना करोड़ों रुपये राजस्व की प्राप्ति होती है। वहीं, अवैध बालू की काली कमाई सालाना राजस्व की प्राप्ति से दोगुना का है। बालू के खेल में छोटे-बड़े दर्जनों तस्कर शामिल हैं।
भईया जी की रिपोर्ट