पटना : पौधारोपण का नेतृत्व पटना महानगर पेड़ उपक्रम प्रमुख हिमालय ने किया। पर्यावरण भारती के संस्थापक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रांत संयोजक तथा अखिल भारतीय पेड़ उपक्रम टोली सदस्य राम बिलास शाण्डिल्य ने कहा कि प्रयाग राज महाकुंभ–2025 को हरित कुम्भ बनाने हेतु सभी मानव का सहयोग अपेक्षित है। पर्यावरण 5 “ज ” से बना है– जल,जमीन, जंगल, जानवर और जन (मानव)। परन्तु मानव अधिक बुद्धिमान होने के कारण जल,जमीन, जंगल और जानवर का मालिक या स्वामी बन जाता है। यही मानव के विनाश का कारण है। जब तक संसार में चारो सुरक्षित है, तब तब मानव जीवन भी सुरक्षित है। यदि जल,जमीन, जंगल और जानवर संसार से समाप्त हो जायेगा, तो मानव जाति स्वतः ही डायनासोर के जैसा दुनिया से समाप्त हो जायेगा।
विज्ञान के चकाचौंध में मनुष्य ने प्रकृति का शोषण किया है। जब कि भारतीय संस्कृति में प्रकृति को माता कहा गया है। वेदों ने हम मानव को त्यागमय उपभोग का संदेश दिया है। जब जब मानव ने प्रकृति से छेड़छाड़ किया है। प्राकृतिक आपदायें कहर बन कर संसार के मानव को परेशान तथा सावधान किया है। कल सुबह ही पड़ोसी देश नेपाल में भीषण भूंकप आया। भारत में भी छटका महसूस हुआ है। यह हमें भी सावधान कर रही है। पर्यावरण युक्त अर्थात हरित कुम्भ हेतु ही प्रयाग राज महाकुंभ में थाली में भोजन और अल्पाहार की व्यवस्था हेतु श्रद्धालुओं से ” कपड़े का एक थैला और स्टील की एक थाली ” दान करने का आह्वान संपूर्ण भारत से किया गया है। थाली के प्रयोग से जल, जमीन और वायु प्रदूषित नहीं होगा। इस अभियान में प्रत्येक मानव सहभागी बनें।
शाण्डिल्य ने कहा कि 8 जनवरी 1851 को फ्रांसीसी भौतिक वैज्ञानिक “लियोन फौकाॅल्ट” ने साबित किया था कि पृथ्वी अपनी धूरी पर 24 घंटे में एक बार घूमती है। इस कारण से 24 घंटों का एक दिन होता है। अतः 8 जनवरी को प्रति वर्ष पृथ्वी घूर्णन दिवस मनाया जाता है। दिन और रात पृथ्वी घूर्णन के कारण होता है। लियोन फौकाॅल्ट ने सिद्ध किया कि पृथ्वी काल्पनिक तल से 66•5° कोण पर झुका हुआ है। पृथ्वी की 2 गति है -घूर्णन और परिक्रमण। पृथ्वी सूर्य का एक ग्रह है। पृथ्वी को सूर्य के चारो ओर एक चक्कर लगाने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 46 सेकेंड का समय लगता है। पृथ्वी घूर्णन दिवस हमें न केवल ग्रह की गतिशील प्रकृति की याद दिलाता है, अपितु हमारी दुनिया को समझने में वैज्ञानिक खोजों के महत्त्व पर भी जोर देता है। यह प्राकृतिक प्रक्रियाओं के संबंध पर भी प्रकाश डालता है। इससे दूरगामी प्रभाव पड़ता है।
भारत में पृथ्वी को भूमि देवी, भू देवी, धरणी, वसुन्धरा, अवनि के नाम से जाना जाता है। पृथ्वी को लक्ष्मी देवी भी माना गया है। पृथ्वी पर ही सभी जीव, वनस्पति, जल की रचना हुई है। अतः भारत में धरती को माता कहा गया है। वेदों में कहा गया है–” पुत्रो अहं पृथ्वया। ” हम सभी धरती माता के पुत्र हैं। अतः धरती माता की सुरक्षा हेतु पौधारोपण अभियान संसार के प्रत्येक मानव को चलाना पुनीत कार्य है। पर्यावरण भारती के पौधारोपण कार्यक्रम में डॉ मेहता नगेन्द्र सिंह, राम बिलास शाण्डिल्य, हिमालय, नीरज नयन, साक्षी कुमारी, आरजू बर्णवाल, ऋषि कुमार, विनय, शाहिल, केशव, शुभम, दिव्याशु, सुयश,अक्षत राज, दीपक कुमार इत्यादि ने भाग लिए।