पटना : बांग्लादेश में चल रहे हिंदुओं के विरुद्ध अमानवीय कुकृत्यों के खिलाफ पटनावासी गुरुवार को सड़कों पर उतरे। राष्ट्रीय भारतीय समाज के बैनर तले हजारों की संख्या में पटनावासियों ने आक्रोश मार्च निकालकर अपने गुस्से को प्रदर्शित किया। आक्रोश मार्च पटना के राजेंद्र नगर के शाखा मैदान से निकलकर दिनकर गोलम्बर, नाला रोड, ठाकुरबाड़ी रोड, बाकरगंज से होते हुए गाँधी मैदान के दक्षिण पश्चिम कोने स्थित जे.पी. गोलम्बर पर समाप्त हो गई। इस रैली में समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोग उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि बांग्लादेश में विगत कुछ महीने से अल्पसंख्यक हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध मतावलंबियों के ऊपर सुनियोजित तरीके से लगातार हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यकों के साथ सरकारी संरक्षण में सुनियोजित तरीके से अत्याचार, अनाचार, दुराचार, माता बहनों के साथ व्यभिचार जैसी घटनाएं घटित हो रही है। हिन्दू मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की घटनाओं के विरोध में पटना के राजेंद्र नगर स्थित शाखा मैदान में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया, जिसमें पटनावासी का हिंदू समाज एकत्रित हुआ।
धरना में वक्ताओं ने बांग्लादेश के कार्यकारी प्रधानमंत्री मो. यूनुस को चेतावनी देते हुए कहा कि वे यथाशीघ्र हिंदुओं के ऊपर हो रहे हमले को रोके; नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहे। वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश के संत चिन्मय कृष्ण दास जी को बांग्लादेश सरकार द्वारा कारावास भेजना अन्यायपूर्ण है। पटनावासी आह्वान करते है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार तत्काल बंद हो तथा संत चिन्मय कृष्ण दास जी को कारावास से यथाशीघ्र मुक्त करें। इसके साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास जारी रखें तथा इसके समर्थन में वैश्विक अभिमत बनाने हेतु यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाए। वक्ताओं ने नृशन्स मो. यूनुस से नोबेल शांति पुरस्कार वापस लेने की भी मांग की।
वक्ताओं ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ छोटी छोटी घटनाओं पर संज्ञान लेता है लेकिन बांग्लादेश की घटना पर मौन क्यों है? देश के मानवाधिकारवादियों की चुप्पी उनके दोहरे मापदंड को बताती है। उनकी चुप्पी सबको अचंभित करती है। गाजा में छोटी घटना पर भी ‘ऑल आइज़ ऑन रफेह’ या ‘सेव ह्यूमिनिटी’ जैसे मीम्स व हैशटैग चलाने वाले बांग्लादेश अत्याचार पर योजनाबद्ध तरीके से चुप हैं, देश के लिए यह खतरनाक स्थिति है।
धरना में प्रख्यात समाजसेवी डॉ. मोहन सिंह, बिहार के प्रख्यात संत स्वामी धरनी दास उदासीन, समाज शिल्पी रामबालक प्रसाद, आर्थिक चिंतक अरुण ओझा, राजकुमार सिन्हा, महिला कार्यकर्ता ऋचा वर्मा, प्रतिभा मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता रौशन सिंह, अजीत कुमार, प्रबोध कुमार, सुमन कुमार, इत्यादि उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय भारतीय समाज के प्रतिनिधिमण्डल ने पटना के जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया। प्रतिनिधिमण्डल में संगठन के संयोजक संजीव कुमार, सह संयोजक प्रमोद कुमार और रौशन शर्मा, प्रख्यात संत धरणीदास और महिला कार्यकर्ता ऋचा वर्मा थी।