राजधानी पटना में बीती रात राजद के बागी नेता राजकुमार राय के मर्डर का सीसीसीटीवी फुटेज सामने आया है। इसमें हमलावर उन्हें दौड़ाकर गोली मारने के बाद भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। घटना के समय हल्की बारिश के साथ सड़क पर थोड़ा कीचड़ था और लोग गली के रास्ते अपने घरों की ओर जा रहे थे। तभी नकाबपोश हमलावर वहां से भागते दिखे। पुलिस आरोपियों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी फुटेज से उनकी पहचान में जुटी है। राजकुमार राय थे तो राजद में लेकिन हाल में वे पार्टी से नाराज होकर दूरी बनाने लगे थे। कहा जा रहा कि उन्होंने तेजस्वी यादव की सीट राघोपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया था। सियासी हलके में कहा जा रहा कि इसीलिए उन्हें रास्ते से हटा दिया गया क्योंकि वे वहां तेजस्वी को चुनौती दे सकते थे। आइए जानते हैं कि राजकुमार राय क्यों राजद से हुए बागी और राघोपुर में वे कैसे तेजस्वी के लिए संकट पैदा कर रहे थे।
कैसे राघोपुर में तेजस्वी के लिए चुनौती बन गए आला राय
वैशाली जिले के राघोपुर में रामपुर श्यामक मलिकपुर पंचायत निवासी राजकुमार राय उर्फ आला राय मूल रूप से राजनीति और जमीन कारोबार में सक्रिय थे। तेजस्वी के विधानसभा क्षेत्र से आने वाले आला राय की पहचान राघोपुर में जमीन से जुड़े राजद नेता की थी। वे वहां के लागों में काफी लोकप्रिय हो गए थे। उनके काम से प्रभावित होकर ही पार्टी ने उन्हें वैशाली राजद के पंचायत राज प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष भी बनाया था। जानकारी के अनुसार, राजकुमार राय 2000 से 2020 तक लगातार पंचायत चुनावों में सक्रिय रहे। उन्होंने मुखिया का चुनाव तीन बार लड़ा, जिसमें दूसरे स्थान पर रहे। 2020 में उन्होंने जिला परिषद का चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। उस चुनाव में उन्हें लगभग 4,200 वोट प्राप्त हुए।
चुनाव में उतरने से पहले हत्या, सीसीटीवी में दिखे हत्यारे
राघोपुर के स्थानीय लोगों ने बताया कि शुरुआती दौर में राजकुमार राय जीप चलाते थे। इसके बाद उन्होंने जमीन के कारोबार में कदम रखा। पैसा कमाने के बाद उन्होंने पटना के राजेंद्र नगर में घर बनाया और पूरा परिवार पटना में शिफ्ट हो गया। लेकिन राघोपुर के लोगों से उनकी लगातार कनेक्टिविटी बनी रही। राघोपुर के लोग किसी भी समस्या के लिए फोन करते या मिलते, तो वह जाकर उनका काम कराया करते थे। 2020 में राजकुमार राय ने जिला परिषद का चुनाव लड़ा, जिसमें वह तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद लगभग 1 साल पहले उन्होंने राजद पार्टी ज्वाइन की और पार्टी द्वारा उन्हें पंचायती राज प्रकोष्ठ, वैशाली जिला का अध्यक्ष बनाया गया।
राघोपुर के लोगों से जमीनी रिश्ता, क्या कहती है जनता…
राघोपुर में उनके करीबी लोगों का कहना है कि यही बात तेजस्वी यादव के पीए और वैशाली जिले के राजद जिला अध्यक्ष के साथ विवाद का कारण बना। उस समय राजकुमार राय ने कहा था कि यह लोग केवल लोगों को राजद में जोड़ने में ही लगे हैं, जबकि हम लोगों की सेवा करना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने राजद पार्टी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने राघोपुर से इसबार निर्दलीय तेजस्वी यादव को चुनौती देने और चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। राघोपुर के स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर इस बार वे विधायक का निर्दलीय चुनाव लड़ते, तो उन्हें लगभग 10–15 हजार वोट जरूर मिल सकते थे। यह वोट शेयर तेजस्वी को हराने के लिए काफी था क्योंकि इससे राजद का आधार वोट बैंक दो भागों में बंट जाता और जदयू—भाजपा की राह यहां आसान हो जाती। कहा जा रहा कि इसी से बचने के लिए राजकुमार राय को रास्ते हटाने के लिए इस कांड को अंजाम दिया गया है।