बिहार विधानमंडल सत्र के आज बुधवार को आठवें दिन विधान परिषद में पूर्व सीएम और राजद नेत्री राबड़ी देवी तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच जबर्दस्त भिड़ंत हो गई। जहां राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार को ‘भंगेड़ी’ कहकर महिलाओं का हमेशा अपमान करने वाला बता दिया, वहीं सीएम नीतीश ने राजद शासन के दौरान हुए कुकर्मों को लेकर लालू—राबड़ी काल को बिहार के लिए अभिशाप कह दिया। विधान परिषद में दोनों के बीच बहस शिक्षकों के वेतन भुगतान और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर शुरू हुई। नीतीश कुमार ने राजद के शासनकाल पर निशाना साधा, जबकि राबड़ी देवी ने नीतीश सरकार पर महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाया। विपक्ष के हंगामे के बीच सभापति को हस्तक्षेप करना पड़ा। सीएम के बयान से नाराज होकर आरजेडी के तमाम विधान पार्षद सदन से बाहर निकल आए और पोर्टिको के गेट पर धरने पर बैठ गए।
शिक्षकों की सैलरी… सुनते ही उखड़ गए सीएम नीतीश
पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने कहा कि महिलाओं को अपमानित करना मुख्यमंत्री की आदत हो गई है। राबड़ी देवी ने कहा कि नीतीश कुमार महिलाओं को कुछ से कुछ बोलते हैं। वह कहते हैं कि 2005 से पहले महिलाएं कपड़े नहीं पहनती थी। हम पूछना चाहते हैं कि भारत सरकार और राज्य सरकार से कि क्या पहले की महिलाएं बिना कपड़े पहने ही रहती थी, बताएं। नीतीश कुमार ने मुझे सदन में दूसरी बार बेइज्जत किया है। दरअसल आज परिषद में शिक्षकों के वेतन भुगतान में देरी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सवाल उठाए। इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। नीतीश कुमार ने लालू-राबड़ी के शासनकाल की आलोचना करते हुए कहा कि उस समय महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए किए गए कार्यों का भी जिक्र किया। नीतीश कुमार के इस बयान पर विपक्षी सदस्य भड़क गए और हंगामा करने लगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा—’पहले क्या होता था? महिलाओं की क्या स्थिति थी? महिलाएं कितनी पढ़ी-लिखी थीं? हमने महिलाओं के लिए काफी काम किया है।’ नीतीश कुमार के इस बयान पर राबड़ी देवी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं का अपमान कर रहे हैं। राबड़ी देवी ने आरोप लगाया कि कुछ लोग नीतीश कुमार के कान भरते हैं जिसके बाद वह महिलाओं का अपमान करते हैं। ये महिला का लगातार अपमान कर रहे हैं। हंगामे को देखते हुए सभापति अवधेश नारायण सिंह को अपनी सीट से खड़े होकर दोनों पक्षों को शांत कराना पड़ा। उन्होंने सदस्यों से शांति बनाए रखने और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील की। इसके बाद हंगामे को देखते हुए सभापति अवधेश नारायण सिंह को अपनी सीट से खड़े होकर दोनों पक्षों को शांत कराना पड़ा। उन्होंने सदस्यों से शांति बनाए रखने और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील की।